किसानों का हितैषी होने का दावा करने वाली योगी सरकार में गन्ना किसान परेशान है। नई पर्ची व्यवस्था चीनी मिलों के हाथों से लेकर समितियों को सौंप दी गयी। जिसका असर यह हुआ कि गन्ना किसानों की पर्चियां सीधे लखनऊ से निर्गत होने लगी। पहली समस्या यह शुरु हुई कि अगेती प्रजाति की पर्चियां ही किसानों को मिलने लगी। किसान अपना गन्ना लेकर जब तौल केन्द्रों पर पहुंचता है तो उसके गन्ने को रिजेक्टेड बताकर उसे वापस कर दिया जाता है। दूसरी समस्या यह कि पर्ची मिलने के बाद किसानों को इतना कम समय मिलता है जिससे किसान खेत में खड़े गन्नों को जब तक काटकर, साफकर और फिर लादकर तौल केन्द्रों पर पहुंचता है। तब तक उसकी पर्ची एक्सपायर हो जाती है और फिर किसान को तौल केन्द्र से वापस कर दिया जाता है। गन्ना तौल कराने में आ रही इस व्यवहारिक कठिनाई से किसान काफी हैरान और परेशान है।
प्रदेश के गन्ना एवं चीनी उद्योग मंत्री सुरेश राणा कहते है कि सोसाइटी को अस्तित्व में लाने के लिये नई पर्ची व्यवस्था बनाई गयी है। उन्होने कहा कि नई पर्ची व्यवस्था में फर्जी बाँन्ड समाप्त करके गन्ना माफिया के वर्चस्व को समाप्त किया गया है। मंत्री महोदय का यह भी कहना है कि रिजेक्टेड वरायटी के गन्ने को बाद में खरीदा जायेगा।
गन्ना मंत्री का दावा है कि जो भी व्यवस्था बनाई गयी है वह पारदर्शी है और किसानो के हितो को ध्यान में रखकर बनाई गयी है जिसमें किसानो से भी सहयोग करने की अपील की गयी है। लेकिन जिले के लगभग 40 प्रतिशत किसानो के पास रिजेक्टेड वरायटी का गन्ना है जो उनके लिये घाटे का सौदा हो रहा है। गन्ना पर्चियों को लेकर उत्पन्न हो रही समस्याओ के निस्तारण की त्वरित व्यवस्था न होने से गन्ना किसान भटकने को मजबूर है।