चिकित्सकों की कमी से बलरामपुर जिले की स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह बदहाल है। ऐसे में जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था राम-भरोसे चल रही है और यहां के मरीजों को मजबूरी में गैर जिलो में जाना पड़ता है। इस पिछड़े जिले में डाक्टरों की कमी इसलिये भी है कि तैनाती होने के बाद कोई भी डाक्टर यहां आना नहीं चाहता। मेमोरियल अस्पताल में तीन विशेषज्ञ डाक्टर वीके राय, डॉ.आर के शर्मा, डॉ सीपी तिवारी की तैनाती भी हुई ज्वाइनिंग भी ली लेकिन बावजूद इसके अपनी सेवाएं अस्पताल को नही दी। ज्वाइनिंग के बाद से ही ये डॉक्टर गायब हो गये और इसकी जानकारी जिले के स्वास्थ्य महकमे को भी नही है कि आखिर डॉक्टर है भी तो कहां। इन डॉक्टरों पर सरकार की गाज गिरी और इनकी सेवायें समाप्त कर दी गई.ग्रामीण क्षेत्रो के अस्पतालो की स्थित और भी बदहाल है। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर डाक्टरो की तैनाती नही है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर जहां कम से कम सात डाक्टर होने चाहिये वहां मात्र एक डाक्टर ही तैनात है। सीएमओ भी मानते है कि स्वास्थ्य सेवाएं संचालित करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। तो ये एक बानगी भर है ऐसे 14 डॉक्टर और है जिनकी सेवायें समाप्त कर दी गई है। ये सभी ज्वाइनिंग के बाद से ड्यूटी छोड़ नदारद थे। डॉ.नितिन गुप्ता, डॉ.विनय शुक्ल, डॉ.सुधीर मौर्या, डॉ.सुधाशु वर्मा, डॉ कृष्ण प्रताप मल, डॉ.संतोष, डॉ.प्रीतिपाल, डॉ.श् रद्धा यादव, डॉ.सौरभ सिंह, डॉ जीशान, डॉ अच्छेलाल, डॉ.बदरे आलम, डॉ.कमलेश कुमार, डॉ.उमेश चंद्र, डॉ.योगेश चंद्र, डॉ सरफराज अंसारी को सेवा समाप्ति वाले 14 डॉक्टरों में शामिल है।