तीन तलाक के खिलाफ कानून बनने के बाद भी यह सामाजिक बुराई थमने का नाम नहीं ले रही है। मामला कोतवाली उतरौला का है। सीतापुर के महमूदाबाद की रहने वाली रुमैशा खातून की शादी 12वर्ष पूर्व उतरौला के परवेज अहमद के साथ हुई थी। इस दम्पत्ति के तीन बच्चे भी है। रुमैशा खातून का आरोप है कि उसकी सास और पति अक्सर दहेज के लिये प्रताड़ित करते थे। पुलिस को दिये गये प्रार्थनापत्र में रुमैशा ने आरोप लगाया है कि उनके पति परवेज का किसी दूसरी औरत से शादी करना चाहते है। इसी मामले को लेकर दोनों पक्ष कोतवाली उतरौला पहुंचे जहां पुलिस के सामने परवेज ने रुमैशा को तीन तलाक कहकर तलाक दे दिया। तलाक के बाद परवेज अपनी पत्नी रुमैशा और तीन बच्चो से अलग रहने लगा है। रुमैशा खातून अब न्याय पाने के लिये पुलिस थाने से लेकर महिला आयोग तक की चक्कर लगा रही है लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
पीड़िता का आरोप है कि उसका पति रसूखदार है इसलिये पुलिस उसपर हाथ डालने के बजाय उसका संरक्षण कर रही है। रुमैशा ने थाने में कई बार प्रार्थापत्र दिया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिले के पुलिस कप्तान का इस मामले में बयान भी अजीब है। पुलिस कप्तान मामले को गम्भीरते से नहीं ले रहे बल्कि कह रहे है कि तलाक देने वाला तो कही भी तलाक दे सकता है चाहे वह पुलिस थाना हो या एसपी का आफिस। पुमैशा ने महिला आयोग के सामने पेश होकर भी न्याय की गुहार लगाई है। महिला आयोग की सदस्य सुनीता बंसल ने उसे न्याय का भरोसा दिलाया है।
योगी सरकार महिलाओं के उत्पीड़न को लेकर सख्त रुख अख्यार किये है लेकिन जब थाने के भीतर ही शौहर बीबी को तलाक देदे और पुलिस कार्रवाई करने के बजाय मूक दर्शक बनी रहे तो ऐसे में पीड़िताओं को न्याय मिल पाना काफी मुश्किल होता है। जिले के एसपी साहब का तर्क सोने पर सुहागा साबित हो रहा है ऐसे में न्याय की उम्मीद कर पाना बहुत कठिन है।