जीरो बजट प्राकृतिक खेती करके अधिक लाभ कमा सकते हैं किसान
भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष जयंकर सिंह ने बताया कि किसानों को विदेशी कंपनियों के दबाव में गुमराह किया जा रहा है । कभी जैविक खेती तो कभी अन्य खेती के नाम पर किसानों को ठगा जा रहा है । जबकि किसान के पास खुद के संसाधन से उन्नतशील खेती करने के पुराने तरीके मौजूद हैं जिससे बिना किसी समस्या के रोग मुक्त व केमिकल से मुक्त फसल तैयार कर उत्पादन किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि जीरो बजट प्राकृतिक खेती करके किसान अधिक लाभ कमा सकते हैं । जीरो बजट प्राकृतिक खेती देशी गाय के गोबर एवं गोमूत्र पर आधारित है । एक देसी गाय से एक किसान 30 एकड़ जमीन पर जीरो बजट खेती कर सकता है।
जीवामृत का महीने में दो बार करें छिड़काव
देशी प्रजाति के गोवंश के गोबर एवं मूत्र से जीवामृत घन जीवामृत तथा जामन बीजामृत बनाया जाता है। इनका खेत में उपयोग करने से मिट्टी में पोषक तत्व की वृद्धि के साथ-साथ जैविक गतिविधियों का विस्तार होता है। जीवामृत का महीने में एक अथवा दो बार खेत में छिड़काव किया जा सकता है। जबकि बीजामृत का इस्तेमाल बीजों को उपचारित करने में किया जाता है। इस विधि से खेती करने वाले किसान को बाजार से किसी प्रकार की खाद और कीटनाशक रसायन खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती है।
20 दिसंबर से आयोजित होगा पांच दिवसीय प्रशिक्षण शिविर
फसलों की सिंचाई के लिए पानी और बिजली भी मौजूदा खेती की तुलना में 10% ही खर्च होती है। इसी संबंध में किसानों को प्रशिक्षित करने के लिए भारतीय किसान संघ द्वारा आगामी 20 दिसंबर से पांच दिवसीय प्रशिक्षण शिविर लखनऊ के बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित होगा। उन्होंने किसानों से अपील की कि इस प्रशिक्षण में अवश्य प्रतिभाग करें और इसके लिए उन्हें जिला संयोजक बिंदेश्वरी सिंह के दूरभाष नंबर 9415454249 जगदंबा प्रसाद मिश्र जिलाध्यक्ष 9839744518 अथवा कमलेश त्रिपाठी के दूरभाष नंबर 9451858416 पर संपर्क स्थापित कर किया जा सकता है। बैठक में विकास खंडवार संयोजकों का भी चयन किया गया है।