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एक व्यक्ति के दो बाप, कारनामे सुनकर हो जायेंगे हैरान, खतरे में पड़ी कुर्सी

locationबलरामपुरPublished: Jun 13, 2018 08:39:08 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

यह सुनकर आपको भी आश्चर्य होगा कि एक व्यक्ति के दो बाप कैसे हो सकते हैं?

Balrampur Crime

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बलरामपुर. यह सुनकर आपको भी आश्चर्य होगा कि एक व्यक्ति के दो बाप कैसे हो सकते हैं? लेकिन उत्तर प्रदेश का सरकारी महकमा अवैध धन वसूली कर ऐसे भी कारनामो को अंजाम देता है, जिसकी बुनियाद ही झूठ पर टिकी होती है। फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर चुनाव लड़कर जिला पंचायत सदस्य चुने गये राम नरेश का जाति प्रमाण पत्र आखिर में तीन साल बाद डीएम ने निष्प्रभावी कर दिया जिसके चलते अब राम नरेश की जिला पंचायत सदस्यता भी खतरे में पड़ गयी है।
मामला बलरामपुर के उतरौला तहसील का है। यहाँ रेहरा बाजार थाना क्षेत्र के सराय खास गाँव के रहने वाले शख्स राम नरेश के दो अलग-अलग अभिलेखो में दो पिता दर्शाएं गए हैं। यह साजिश जिला पंचायत चुनाव लड़ने के लिये जान बूझकर रची गयी। मूलत: सरायखास गाँव का रहने वाला राम नरेश महाराष्ट्र के दौण्ड में व्यापार करता है, जहाँ उसने अपने समस्त अभिलेखों में अपने पिता का नाम जान्हवी प्रसाद दिखाया है जो जाति से ब्राम्हण है। जान्हवी प्रसाद सरायखास गाँव के पूर्व प्रधान भी रह चुके हैं। वर्ष 2015 में हुयेजिला पंचायत के चुनाव में रामनरेश ने तहसील कर्मचारियों के साथ मिलीभगत कर अपनी वल्दियत ही बदल दी और बाप जान्हवी प्रसाद की जगह कल्लू का नाम आ गया जबकि उस गाँव में कल्लू नाम के व्यक्ति का कोई वजूद न तो पहले था और न ही अभी है। कूटरचित दस्तावेजों के सहारे अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र बनवाकर आरक्षित सीट से वह चुनाव लड़ गया। अब रामनरेश अनुसूचित जाति के लिये आरक्षित सरायखास सीट से जिला पंचायत सदस्य है।
रामनरेश ने तहसील कर्मचारियों के साथ मिलकर न सिर्फ निर्वाचन आयोग के साथ धोखाधड़ी की है बल्कि शासन प्रशासन को भी धोखा दिया है। इसकी शिकायत निर्वाचन आयोग, मुख्य सचिव और डीजीपी के यहाँ भी की गयी है। डीजीपी ने मामले में एफआईआर दर्ज कराने का आदेश भी दिया है। डीजीपी के आदेश पर 420 का केस भी दर्ज किया जा चुका है। गलत प्रमाणपत्र जारी करने वाले तहसीलदार और लेखपाल को भी 420 का आरोपी बनाया गया है। मुख्य सचिव के निर्देश पर मामले की जाँच के लिये जिलाधिकारी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय टीम बनाई गयी। जाँच के बाद टीम ने अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र को फर्जी पाया और उसे तत्काल प्रभाव से निष्प्रभावी कर दिया। इस हाई प्रोफाइल मामले में दोषियों को बचाने और शिकायतकर्ता की आवाज दबाने के लिये उसके खिलाफ कई फर्जी मुकदमें लिखवा दिये गये, लेकिन तीन साल की लडाई के बाद शिकायतकर्ता की बात सही पायी गयी। राम नरेश का अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र निष्प्रभावी होने के बाद अब उसकी जिला पंचायत सदस्यता भी खतरे में पड़ गयी है।
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