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खूबसूरत और ऊंची ताजियों के लिए मशहूर है बलरामपुर, हिन्दू-मुस्लिम समुदाय ने मिलकर मनाया मोहर्रम

locationबलरामपुरPublished: Sep 22, 2018 07:17:04 am

मोहर्रम के अवसर पर अपनी खूबसूरत और ऊंची ताजियों के लिए बलरामपुर पूरे देश मे अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

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खूबसूरत और ऊंची ताजियों के लिए मशहूर है बलरामपुर, हिन्दू-मुस्लिम समुदाय ने मिलकर मनाया मोहर्रम

बलरामपुर. मोहर्रम के अवसर पर अपनी खूबसूरत और ऊंची ताजियों के लिए बलरामपुर पूरे देश मे अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है। 10 वीं मोहर्रम के दिन कर्बला में दफन करने से पूर्व शहर के ताजियों को वीरविनय चौक पर एकत्रित किया जाता है। इन ताजियों की खूबसूरती देखने के लिये भारी संख्या में भीड़भाड़ उभरती है। फिर इन तजियों को कर्बला मे दफन किया जाता है। वीर विनय चौक पर इकठ्ठी की गयी ताजीयों को बनाने में आयी लागत करीब तीन करोड़ रुपये आंकी गयी है। अमन और भाईचारगी का पैगाम देती इन ताजियों को बनाने में कलाकार कई महीने परिश्रम करते हैं। यहां इकठठी होने वाली ताजियों में सबसे अच्छी ताजियों को कमेटियों द्वारा पुरस्कृत किया जाता है।

शुक्रवार की रात 10वीं मोहर्रम बड़ी ही अकीदत के साथ मनाया गया। जिला मुख्यालय के वीर विनय चौराहे पर हर साल आयोजित होने वाले मेले में दूर दूर से ताजिएदार और जुल्फेकार शामिल हुए। जिले का मोहर्रम साउदी अरब तक मशहूर है। इसे देखने व शामिल होने के लिए साउदी अरब में काम करने वाले भारतीय भी वापस आ जाते हैं। जिले में हिं-दू और मुस्लिम सभी मिलकर आपसी सौहार्द के साथ मोहर्रम मनाते हैं। जुलूस में 50 फीट तक के बड़े बड़े ताजिए शामिल हुए। वहीं दूसरी ओर दुनिया भर में फैले मशहूद मस्जिदों के मॉडल भी अकिदतमंदों द्वारा बनाये गये थे। मोहर्रम जुलूस में कई ताजियादारों, जुल्फेकारों द्वारा अपने मस्जिदों के माॅडल में तिरंगा झंड़ा लगाकर देश के प्रति प्रेम, एकता व अखंडता को भी प्रदर्शित किया गया।

वीर विनय चैराहे पर सभी ताजियादारों व जुल्फेकारों की हौसला अफजाई के लिए उन्हे पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया गया। जिससे वे बढ़ चढ़ कर मोहर्रम में हिस्सा लें और इमाम हुसैन की शहादत को याद करें। साथ ही जिला प्रशासन व पुलिस के अधिकारियों को भी मंच के माध्यम से सम्मानित किया गया। जिला मुख्यालय पर आयोजित मेले व जुलूस के दौरान हजारों की संख्या में अकीदतमंद मौजूद रहे। मान्यता है कि इसी दिन इमामे हुसैन अपने 72 साथियों के साथ बुराई को खत्म करने के लिए कुर्बानी दी थी। इस्लाम के सच्चाई की राह लोगों को बताने के लिए ही मोहर्रम मनाया जाता है।

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