मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. घनश्याम सिंह ने बताया फाइलेरिया एक प्रकार के कृमि परजीवी द्वारा होने वाली बीमारी है। इसके उन्मूलन को लेकर शासन स्तर से कवायद शुरू कर दी गई है। इसी क्रम में अगले महीने फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम चलाया जाएगा। अभियान से पहले प्री एमडीए एक्टीविटी के तहत नाइट ब्लड सर्वे किया जा रहा है जो 25 जनवरी तक चलेगा। रक्त पट्टिका तैयार करने के लिए आठ टीम लगाई गई हैं। हर टीम में प्रयोगशाला प्राविधिक, प्रयोगशाला सहायक सहित चार-चार स्वास्थ्य कर्मी लगाए गए हैं।
जिला मलेरिया अधिकारी मंजुला आनंद ने बताया कि माइक्रो फाइलेरिया के जीवाणु रात में विश्राम की अवस्था में त्वचा की पहली सतह के नींचे खून में आ जाते हैं। जिससे खून के नमूने के दौरान उन्हें चिहित किया जा सकता है, इसलिए नाइट ब्लड सर्वे किया जाता है। उन्होंने बताया फाइलेरिया को लेकर 4 रेंडम और 4 सेंटिनल साइट पर रात्रिकालीन रक्त सर्वेक्षण किया जा रहा है। उन्होंने सभी चयनित स्थानों के लोगों से अपील की है कि वे रक्त पट्टिका तैयार करने के लिए खून का नमूना देने में स्वास्थ्य टीम का सहयोग करें।
8 स्थानों पर 4 हजार लोगों की होगी खून की जांच
संक्रमक रोग नियंत्रण कक्ष प्रभारी डा. ए.के. पाण्डेय ने बताया कि जिन 8 स्थानों पर रक्त पट्टिका संकलित की जानी है उनमें 4 रेंडम व 4 सेंटिनल साइट हैं। 4 रेंडम साइटों के तहत तुलसीपुर ब्लाक के धुतकहवा, बलरामपुर ग्रामीण के बेलवा सुल्तानजोत, उतरौला ब्लाक के पटेल नगर व रेहरा ब्लाक के बूधीपुर गांव में जबकि 4 सेंटिनल साइट के तहत गैसड़ी ब्लाक के विशुनपुर कला, पचपेड़वा ब्लाक के रामनगर, शिवपुरा ब्लाक के मदारगढ़ व बलरामपुर नगर के पहलवारा मोहल्ले में कुल 4 हजार से अधिक लोगों के खून के नमूने जांच के लिए संकलित किए जाएंगे।
तीन ब्लाकों में शुरू हुई प्री एमडीए एक्टीविटी
उतरौला ब्लाक में 17 जनवरी से शुरू हुए नाइट ब्लड सर्वे के दौरान 500, बलरामपुर ग्रामीण में 19 जनवरी से शुरू हुई एनबीएस के दौरान 200 और पचपेड़वा में 20 जनवरी से शुरू हुई एनबीएस के दौरान 100 लोगों के खून के नमूने लिए गए हैं। इनमें अभी तक करीब 150 लोगों के सैम्पल की जांच के दौरान रिजल्ट निगेटिव पाए गए हैं।
फाइलेरिया के लक्षण
हाथ, पैर, स्तन या अंडकोष में सूजन, पेशाब में सफेद रंग के द्रव का स्त्राव (काइलूरिया), व लंबे समय से ठंड लगकर बुखार आना आदि।