scriptIBCS के ग्रीन कैलेण्डर-2020 में ओरियन्टल व्हाइट रैम्पड वल्चर और वाल क्रीपर को मिला जगह | Oriental White Ramped Vulture and Wall Creeper got place in IBCS | Patrika News

IBCS के ग्रीन कैलेण्डर-2020 में ओरियन्टल व्हाइट रैम्पड वल्चर और वाल क्रीपर को मिला जगह

locationबलरामपुरPublished: Jan 13, 2020 09:28:08 am

बलरामपुर में भारत नेपाल सीमा पर स्थित सोहेलवा वन्यजीव अभ्यारण्य देश ही नही दुनिया के सबसे खूबसूरत जंगलो में से एक है।

IBCS के ग्रीन कैलेण्डर-2020 में ओरियन्टल व्हाइट रैम्पड वल्चर और वाल क्रीपर को मिला जगह

IBCS के ग्रीन कैलेण्डर-2020 में ओरियन्टल व्हाइट रैम्पड वल्चर और वाल क्रीपर को मिला जगह

बलरामपुर. बलरामपुर में भारत नेपाल सीमा पर स्थित सोहेलवा वन्यजीव अभ्यारण्य देश ही नही दुनिया के सबसे खूबसूरत जंगलो में से एक है। सोहेलवा वन्यजीव प्रभाग में पाये जाने वाले पक्षियों को भारतीय जैवविविधता संरक्षण समिति की ओर से जारी ग्रीन कैलेन्डर-2020 में स्थान मिला है जिसे एक बडी उपलब्धि के रुप में देखा जा रहा है। इसको लेकर वन्यजीव प्रेमियों और संरक्षणवादियों में काफी उत्साह है।

डीएफओ रजनीकान्त मित्तल ने यह जानकारी देते हुये बताया कि IBCS के ग्रीन कैलेण्डर-2020 में ओरियन्टल व्हाइट रैम्पड वल्चर (oriental whitw ramped vulture) और वाल क्रीपर(wall creeper) को स्थान मिला है और यह तस्वीरे भी सोहलेवा जंगल में खीची गयी है। उन्होने कहा कि सोहेलवा डिवीजन वन्यजीवों ही नही बल्कि पक्षियों की दृष्टि से भी काफी समृद्ध जंगल है और यहाँ पाये जाने वाले पक्षियों को भी अनुकूल वातावरण प्राप्त होता है। गतवर्ष देश ही नही दुनिया के तमाम पक्षी विशेषज्ञ सोहेलवा वन्यजीव प्रभाग में एकत्रित हुये थे और यहाँ पाये जाने वाले पक्षियों का सर्वे किया था। सर्वे में यह तथ्य निकलकर सामने आया था कि सोहेलवा वन्यजीव प्रभाग में पक्षियों की लगभग 400 प्रजातियां पायी जाती है। पक्षियों की कुछ ऐसी प्रजातियां भी यहाँ पायी जाती है जो काफी दुर्लभ है। IBCS की इस पहल का प्रकृति प्रेमियों ने स्वागत किया है। सोहेलवा के संरक्षण और संवर्धन में लगे संरक्षणवादियों में इस बात को लेकर खुशी है कि IBCS ने सोहेलवा जंगल के पक्षियों को अपने कैलेण्डर में स्थान दिया है। पर्यावरणविद् प्रोफेसर नागेन्द्र सिंह भी इसको लेकर काफी उत्साहित है उन्होने कहा कि सोहलवा जंगल को इससे विश्व पटल पर नई पहचान मिलेगी। प्रोफेसर नागेन्द्र सिंह ने कहा कि सोहेलवा देश का ऐसा इकलौता जंगल है जहाँ तराई और भाँभर जैव विवधिताएं एक साथ पायी जाती है। उन्होने कहा कि वनस्पतियों की अकूत सम्पदा यहाँ विद्यमान है और यह जंगल राँयल बंगाल टाइगर का नेचुरल हैबीटैट भी है जो देश दुनिया के वन्यजीव प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित कर सकता है। पर्यावरण प्रेमी पाटेश्वरी प्रसाद सिंह भी मानते है कि इकोटूरिज्म की यहाँ अपार सम्भावनाएं है। उन्होने कहा कि सोहेलवा वन्यजीव पभाग में कई ऐसे स्पाट है जो बर्ड वाचिंग के लिये काफी मुफीद है। सोहेलवा जंगल के संरक्षण से जुडे पर्यावरण प्रेमी विश्वजीत सिंह मानते है कि सोहेलवा जंगल में वो सभी सम्भावनाएं है जिससे यह देश का सर्वोत्तम बर्ड वाचिंग डेस्टीनेशन बन सकता है।

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