बता दें की बलरामपुर के इतिहास में पहली बार प्रधानी के चुनाव का लगभग ढाई साल समय बीत जाने के बाद पुनः मतगड़ना हुई है। मामला विकास खंड हरैया सतघरवा के ग्राम पंचायत कैली का है। वर्ष 2015 में हुए प्रधानी चुनाव की मतगड़ना में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए सुधापाल ने हाई कोर्ट में वाद दायर किया था। सुधा पाल का आरोप था की वर्ष 2015 के चुनाव में कुल 1514 मत ही पड़े थे लेकिन गिनती 1527 मतों कि की गई थी। 13 मतों की जालसाजी कर विपक्षी को विजयी घोषित किया गया था। सुधा पाल का आरोप है की मतगड़ना वाले दिन विपक्षी उससे भीड़ गई और पुलिस वालो ने मुझे बाहर कर दिया। उस दिन भी पुनः मतदान कराने की मांग की लेकिन पुनः मतगड़ना नही कराई गई। सुधा पाल की याचिका पर है कोर्ट के निर्देशो का पालन करते उपजिलाधिकारी की मौजूदगी में पुनः मतगड़ना 16 मई को करवाया गया।
मतगड़ना शुरू होने से पहले ही सुधा पाल के पक्ष में लोगों ने पहुच कर हंगामा करना शुरू कर दिया। उसमे ऐसे अधिक लोग दिखाये दिए जो श्रावस्ती सांसद के साथ अक्सर देखे जाते हैं। उन्होंने काउंटिंग शुरू होने से पहले ही एसडीएम के चैम्बर में पहुंच कर दबाव बनाना शुरू किया। उस समय वहां मौजूद पुलिस कर्मी तमाशबीन ही बने रहे। कुछ ही देर में श्रावस्ती दद्दन मिश्र भी पहुंच कर एसडीएम को निर्देश दे डाला। हालांकि मतगड़ना के दौरान पुलिस हरकत में आई और लोगों को वहां से खदेड़ना शुरू किया। तब जाकर पुनः मतगड़ना शुरू हो सकी। पुनः मतगड़ना के बाद सुधा को 375 व हाशिमा को 377 मत मिले और एक बार फिर हाशिमा विजई घोषित हुई।
पूर्व में हाशिमा को 378 मत मिले थे और वह 3 मतों से विजय हुई थी। पुनः मतगड़ना में 1 वोट इनवैलिड निकाल दिया गया जिससे हाशिमा इस बार 2 मतों से विजयी हुई। यहां देखने को यह मिला की प्रधानी चुनाव जैसे छोटे चुनाव की पुनः मतगड़ना में सांसद सहित उनके समर्थक दबाव बनाने व निर्देश देने के लिए पहुंच रहे है। यही तत्पर्यता जिले के विकास के लिये दिखाई होती तो आज बलरामपुर की सूरत और सीरत कुछ और ही होती।