वनों के अवैध कटान के साथ ही नेपाल से नारकोटिक्स की तस्करी सबसे बड़ी समस्या है। इसके साथ ही जंगली जानवरों के अवैध शिकार भी यहां होते रहे हैं। बाघ व अन्य दुर्लभ वन्यजीवो के अंगों की तस्करी को लेकर यह सीमावर्ती क्षेत्र हमेशा से चर्चा में रहा है। मानव तस्करी की कई घटनाए भी यहां प्रकाश में आयी है। टाइगर और तेन्दुएं की खाल की तस्करी का यह एक बडा केन्द्र था। 2006 से लेकर 2010 के बीच जानवरो के अंगो की तस्करी करने वाले कई घटनाओ का खुलासा किया जा चुका है। इस समय भारत-नेपाल सीमा से सबसे अधिक नारकोटिक्स की तस्करी की घटनाएं होती है। चाष्ट्र विरोधी घटनाओ के बढने और दोनों देशों के बीच खुली सीमा होने के कारण लगभग डेढ़ दशक पूर्व सीमा पर एसएसबी की तैनाती की गयी। एसएसबी की तैनाती के बाद से यहां राष्ट्रद्रोही गतिविधियों पर काफी अंकुश भी लगा है। नेपाल की सेना के साथ भारत की एसएसबी समय-समय पर पेट्रोलिंग करती है। तमाम सुरक्षा एजेन्सियां भी सीमावर्ती क्षेत्र में तैनात है जिसके माध्यम से मिलने ली सूचनाओं पर सुरक्षाबल कार्रवाई करते हैं।