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यह लोकसभा क्षेत्र सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और प्राकृतिक दृष्टि से है काफी महत्वपूर्ण

locationबलरामपुरPublished: May 08, 2019 10:37:07 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेई की कर्मस्थली के रुप में पहचान रखने वाली बलरामपुर लोकसभा क्षेत्र अब श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र के रुप में जानी जाती है।

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बलरामपुर. देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेई की कर्मस्थली के रुप में पहचान रखने वाली बलरामपुर लोकसभा क्षेत्र अब श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र के रुप में जानी जाती है। 2008 में परिसीमन के बाद बलरामपुर लोकसभा क्षेत्र का अस्तित्व समाप्त हो गया और श्रावस्ती लोकसभा का उदय हुआ। इस लोकसभा क्षेत्र में बलरामपुर जिले की तीन विधानसभा सीटें- बलरामपुर, तुलसीपुर और गैंसड़ी हैं। इसके अलावा श्रावस्ती जिले की दो विधानसभा सीटें श्रावस्ती और भिनगा भी इस लोकसभा क्षेत्र में सम्मिलित हैं।
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बलरामपुर से मात्र 16 किलोमीटर दूर भगवान बुद्ध की तपोस्थली श्रावस्ती विश्व के मानचित्र पर एक बड़ा नाम है। यहाँ भगवान बुद्ध 24 वर्षों तक लगातार चतुर्मास प्रवास पर आते रहे हैं। भारत-नेपाल अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे होने की वजह से यह क्षेत्र सामरिक दृष्टि से भी काफी अहम है। आजादी के बाद से ही यहाँ जनसंघ का काफी प्रभाव रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार 1957 में इसी सीट से लोकसभा की चौखट लांघने में कामयाब हुए थे। इसके बाद वह 1967 में भी जनसंघ के टिकट पर यहीं से निर्वाचित हुए। हालांकि 1962 के चुनाव में उन्हें कांग्रेस की सुभद्रा जोशी से शिकस्त मिली थी। 1977 में नानाजीदेशमुख बलरामपुर से ही बतौर जनता पार्टी उम्मीदवार जीते थे। केवल 2009 के आम चुनाव को छोड़कर तकरीबन हर बार बीजेपी यहां मुख्य मुकाबले में रही है। 2014 की मोदी लहर में यहां बीजेपी के दद्दन मिश्र ने कामयाबी हासिल की।
देश की 51 शक्तिपीठो में से एक शक्तिपीठ देवीपाटन भी यही स्थित है। देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यहाँ आते हैं। श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र की लगभग 150 किलोमीटर की सीमा नेपाल राष्ट्र से जुडी हुई है। इसी क्षेत्र में प्रकृति ने भी अपनी छंटा बिखेरी है। सोहेलवा वन्यजीव प्रभाग की सुन्दर वादियों में दुर्लभ पशु-पक्षियों के नजारे दिखाई पड़ते हैं।
नेपाल सीमा पर स्थित सोहेलवा जंगल के बीच यहाँ अनमोल धरोहर के रुप में थारु जनजातियां बसी हुई हैं। गैंसडी और भिनगा विधानसभा क्षेत्र में अधिकांश थारु निवास करते हैं। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और प्राकृतिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है।

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