योगी सरकार प्रदेश में शिक्षा विभाग में सुधार के लाख दावे कर रही है लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है।
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बलरामपुर। योगी सरकार प्रदेश में शिक्षा विभाग में सुधार के लाख दावे कर रही है लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है। शिक्षा सत्र के तीन माह बीत जाने के बाद भी अभी तक विद्यार्थियों को ना तो किताबें मिली है और ना ही वेशभूषा। सरकारी स्कूलों में बेसिक सुविधाएं तक मौजूद नहीं हैं। ऐसे में कैसे पढ़ेगा इंडिया और कैसे बढ़ेगा इंड़िया।
साक्षरता की दौड़ में सबसे पिछले पायदान पर खड़ा यूपी का बलरामपुर जिला। यहां पर सरकारी प्राथमिक शिक्षा का बुरा हाल है। योगी सरकार बनने के बाद शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए महकमें में तेजी आई है लेकिन अधिकारियों के लिए बदहाल व्यवस्था को सुधारना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। जिले में कुल 2230 प्राइमरी व जूनियर हाईस्कूल में 2 लाख 46 हजार 84 छात्र छात्राएं हैं लेकिन शिक्षा सत्र शुरू होने के तीन माह बाद भी किसी के पास ना तो नई किताबें है और ना ही ड्रेस। बच्चे पढ़ाई के लिए पुराने छात्रों से ली गई किताबों का सहारा लेकर पढ़ाई कर रहे हैं। जिनके पास किताबें नहीं है उनकी पढ़ाई कैसे हो ये एक बड़ा सवाल है। कक्षा में छात्र छात्राएं या तो पुरानी ड्रेस पहनकर आ रहे हैं या फिर घर का कपड़ा। कई स्कूलों में तो शौचालय तक नहीं हैं।
विद्यालय के शिक्षक भी मानते हैं कि शिक्षा विभाग की कमी के कारण स्कूल में बेसिक सुविधाएं तक नहीं है और छात्र छात्राओं का भविष्य भी अधर में है। शिक्षक व अधिकारी जल्द ही स्कूलों में ड्रेस व किताबें बांटने का दावा भी कर रहे हैं। शिक्षा व्यवस्था को लगातार बेहतर बनाने के तमाम दावों के बीच बदहाल शिक्षा व्यवस्था की तस्वीर कागजी आंकड़ों से कुछ अलग ही दिखाई देती है। ऐसे में सरकारी स्कूलों को कान्वेंट स्कूलों से टक्कर देने के विभागीय दावें हवाई साबित हो रहे हैं और इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।