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छह बच्चों की तालाब व नदी में डूबने से मौत, परिवार में मचा कोहराम

locationबांदाPublished: Sep 29, 2021 05:37:36 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

बांदा में अलग-अलग हादसों में 6 बच्चों की नदी व तालाब में डूबने से मौत हो गयी। सभी बच्चे बुंदेलखंड के पर्व महालक्ष्मी पूजन में शामिल होने अपने परिजनों के साथ गए हुए थे।

Banda Crime

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बांदा. बांदा में अलग-अलग हादसों में 6 बच्चों की नदी व तालाब में डूबने से मौत हो गयी। सभी बच्चे बुंदेलखंड के पर्व महालक्ष्मी पूजन में शामिल होने अपने परिजनों के साथ गए हुए थे। यह हादसे बाँदा की तीन तहसीलों में हुए हैं। घटना के बाद से परिजनों में कोहराम मचा हुआ है। पुलिस ने शवों का पंचनामा भर पोस्ट-मार्टम को भेज दिया है। कुछ की तलाश जारी है।
मामला बाँदा जनपद का है, जहाँ पर बुधवार को महलक्ष्मी पूजन के लिए बच्चों के साथ महिलाएं बबेरू तहसील के कोलावल रायपुर गाँव से अपने-अपने बच्चों के साथ केन नदी में स्नान को गए हुए थे। महिलाएं 16 दिन व्रत के बाद विसर्जन कर रही थीं, तभी बच्चे भी नदी में उतर गए। लेकिन अचानक पैर फिसलने से 11 वर्षीय सीता, 14 वर्षीय उमेश और 7 वर्षीय सूरज नदी में डूब गए। लोगों की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने गोताखोरों की मदद से बच्चों को नदी से निकाला, लेकिन तब तक 3 बच्चों की मौत हो चुकी थी। इन बच्चों में उमेश और सीता सेज भाई-बहन थे।
दूसरी घटना बबेरू तहसील की है, जहाँ दो हादसों में 2 बच्चों की नदी में डूबकर मौत हो गयी। 8 वर्षीय अमृता गांव की महिलाओं के साथ गडरा नदी गयी थीं, जहाँ महिलाएं पानी में नहा रही थीं, तभी अमृता नदी में उतर गई। जब तक कोई कुछ समझ पाता वह डूब गई। इसके बाद वहां हल्ला मच गया। अमृता के परिजन भी मौके पर पहुंच गये। गोताखोरों ने नदी से अमृता का शव बाहर निकाला। इसी तरह बबेरू के टोला कला गांव में मटियारी नदी में एक बच्चे की डूबकर मौत हो गई । अभी उसका शव भी बरामद नहीं किया जा सका है। गोताखोर तलाशने में लगे हैं।
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तीसरी घटना बाँदा सदर तहसील के जारी गांव की है, जहां पर महालक्ष्मी पूजन में शामिल होने आई 14 वर्षीय निशा की भी तालाब में डूबकर मौत हो गई। वह अपनी मां के साथ तालाब पर पूजन करने पहुंची थी। ग्रामीणों ने उसे तालाब से निकालकर अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। बता दें कि बुंदेलखंड में पितृपक्ष के दौरान महिलाएं 16 दिन महालक्ष्मी का पूजन करती हैं। इस पूजन का मंगलवार को अंतिम दिन था। पूजन के दौरान महिलाएं हाथ में एक धागा बांधती हैं, जिसका विसर्जन अंतिम दिन करती हैं। माना जाता है कि जो बच्चे गर्भ में या जिनकी असमय मौत हो जाती है, उन्हें इससे श्राद्ध दिया जाता है।

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