बता दें कि बांदा के अशोक त्रिपाठी उर्फ़ जीतू भईया भाजपा में लम्बे अरसे से जुड़े है। पार्टी में ये रीढ़ की हड्डी माने जाते हैं, पार्टी का कोई भी छोटा या बड़ा फैसला इनकी अनुमति के बिना नहीं होता है। इतना ही नहीं लम्बे अरसे से यह लोकसभा व विधानसभा प्रत्याशियों का नामांकन भी भराते चले आ रहे हैं। पर आज अशोक त्रिपाठी अपनी ही पार्टी से नाराज दिखाई दे रहे हैं। भाजपा में बांदा-चित्रकूट सीट से राजपूत समाज व पुराने भाजपा कार्यकर्त्ता को टिकट न मिलने से इनमें पार्टी के प्रति खासी नारजगी है और आज इसका विरोध करते हुए इन्होंने भाजपा के विरुद्ध मोर्चा खोलते हुए अपना निर्दलीय नामंकन पत्र दाखिल किया है।
आपको बता दें कि अशोक त्रिपाठी पूर्व सांसद के पुत्र है और पेशे से अधिवक्ता है तथा पूर्व में बार संघ के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। निर्दलीय प्रत्याशी अशोक त्रिपाठी ने संकट मोचन मंदिर में दर्शन कर कलेक्ट्रेट में पहुंच कर अपना नामांकन किया व नामांकन के बाद शहर के जीआईसी मैदान में एक विशाल जनसभा को सम्बोधित किया। जनसभा के दौरान लोगों की जुबान पर बस एक ही चर्चा थी की बांदा-चित्रकूट में परिवर्तन की बयार है जो की गलत है।
अशोक त्रिपाठी उर्फ़ जीतू भईया की जनता से लोकप्रियता के चलते आज उनकी जनसभा में जनसैलाब देखने को मिला है। अशोक त्रिपाठी का मानना है कि उन्होंने कई बार पार्टी हाई कमान से बात कर पुराने कार्यकर्ता को टिकट देने की गुहार लगाई थी पर पार्टी ने ब्राह्मण समाज को टिकट देकर एक बड़ी गलती की है, मानना है कि ये टिकट या तो राजपूत को मिलना चाहिए था या फिर वर्षो से पार्टी के लिए खून पसीना बहाने वाले कार्यकर्ता को, पर पार्टी हाई कमान ने ऐसा नहीं किया है जिसका विरोध करते हुए आज वह खुद चुनाव मैदान में उतरे हैं।
कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए अशोक त्रिपाठी ने कहा की भाजपा में जमीनी स्तर का कार्यकर्ता जो कि जिंदगी भर अपने खून पसीने से पार्टी का संगठन खड़ा करता है। वह आज उपेक्षा का शिकार हो गया है, हम बदले की भावना से नहीं बल्कि बदलाव की भावना को चुनावी मैदान में उतरे हैं। कहा कि अगर जातीय समीकरण से टिकट दिया गया है तो पार्टी में भी बहुत से उम्मीदवार थे लेकिन पार्टी के किसी भी कार्यकर्ता को टिकट नहीं मिला है, गोलमोल शब्दों में कहा की जिसके पास सूटकेश होता है, टिकट उसे ही मिलता है।