प्राथमिक शिक्षक के तौर पर जीवन शुरू
अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद भारत रत्न नानाजी देशमुख के सानिध्य में आकर समाजोन्मुखी जीवन की शुरुआत की। 13 साल तक आदिवासी समाज के लिए काम करने के बाद उन्होंने प्राथमिक शिक्षक के तौर पर जीवन शुरू किया। इस दौरान उन्होंने प्राथमिक शिक्षा में संस्कार को महत्वपूर्ण स्थान देने पर जोर दिया। प्रार्थना सभा के साथ देशभक्ति के गीतअपनी अवधारणा के तहत उन्होंने स्कूल में प्रार्थना सभा के साथ ही देश भक्ति के गीत, पीटी, योग शिक्षा और हर रोज एक महापुरुष की जीवनी का वाचन अनिवार्य तौर पर शुरू किया।
परिवर्तन लाने के लिए विकास संभव
महापुरुषों की जीवनी बच्चों को सुनाने के साथ उन्हें महापुरुषों के जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण प्रसंग का मर्म अभी बताना शुरू किया इससे बच्चों को अपने जीवन में परिवर्तन लाने के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण का विकास संभव हो सकेगा। उनके इस नवाचार का असर भी दिखा। जब संस्कारित और सुशिक्षित बच्चे आगे बड़े तो शिक्षक के तौर पर उनकी भी चर्चा होने लगी।