आया था तेज हार्ट अटैक- बांदा के जहरीली कोठी मोहल्ले का रहने वाले ओमप्रकाश बाँदा डीआईजी के यहाँ कांस्टेबल के पद में कार्यरत थे। बीती रात लगभग 1:30 बजे उनके सीने में अचानक दर्द उठा जिसपर उन्होंने अपने घर के सामने के निवासी एक टैक्सी चालक राम खिलावन को आवाज दिया तथा हार्ट अटैक बताते हुए अस्पताल चलने को कहा, जिसपर टैक्सी चालक उन्हें जिला अस्पताल ले गया व इलाज शुरू कराया। डॉक्टरो ने कांस्टेबिल को इंजेक्शन दिए, जिस पर समय के साथ दर्द भी बढ़ता गया और कांस्टेबिल की हालत बिगड़ने लगी। इसपर उन्हें कानपुर रिफर कर दिया गया। परिजन उन्हें आनन-फानन में एम्बुलेंस से लेकर कानपुर के लिए रवाना हुए, लेकिन वे शहर से 4 किलोमीटर की दूरी पर पहुंचे ही थे कि उन्होंने अपना दम तोड़ दिया। यहां से उन्हें वापस लाया गया और उनका पोस्ट-मार्टम कराया गया।
पड़ोसी ने बताया, शौच जाना चाहता था कांस्टेबल- बाँदा के पुलिस लाइन में आज शाम कांस्टेबिल के मृत शरीर को गॉर्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया। इस घटना के बारे में कांस्टेबिल के पड़ोसी राम खिलावन ने जिला अस्पताल की लापरवाही उजागर करते हुए अस्पताल को जिम्मेदार बताया है। पड़ोसी राम खिलावन की माने तो रात में वो अपनी छत पर सो रहा था, तभी सामने के मकान में रहने वाले कांस्टेबिल ओमप्रकाश ने उन्हें आवाज दी और दर्द बताते हुए अस्पताल चलने को कहा। वो उन्हें जिला अस्पताल ले गए। राम खिलावन ने बताया की अस्पताल में उन्हें शौच को जाना था पर शौच के कमरे में ताला पड़ा था। अस्पताल कर्मचारियों से कहने के बाद भी टॉयलेट का ताला नहीं खोला गया, जिससे अस्पताल की संवेदनहीनता साफ़ नजर आती है। बताया की डॉक्टरों ने ओमप्रकाश को इंजेक्शन दिए इसके बाद उनकी हालत और बिगड़ गयी। इसके बाद भी डॉक्टर ने उन्हें बाहर रिफर नहीं किया। जब वो मरणासन हालत में हो गए तब उन्हें कानपुर के लिए रिफर किया गया। लेकिन कानपुर ले जाते समय रास्ते में ही उनकी मौत हो गयी।