दरअसल मामला कुछ यूं है कि बीते महीने बांदा जिले में मौरंग के अवैध-खनन और उसके परिवहन की लगातार शिकायतें मिल रही थी। डीजीपी को पुलिस द्वारा रात भर प्राइवेट लोगों से प्रति ट्रक एक-एक हजार रुपये की वसूली करवाने की सूचना मिली थी। ऐसी शिकायतों का संज्ञान लेते हुए डीजीपी ने आईपीएस हिमांशु कुमार और मोहित गुप्ता की कमान में एक पुलिस दल बांदा भेजा था, जिसने गिरवां थाने के पास वसूली कर रहे सिपाही और प्राइवेट लोगों को दौड़ा कर पकड़ना चाहा था, जिसपर आईपीएस अधिकारी के भागने के दौरान पैरों में चोट आ गयी थी, इसके बाद भी आईपीएस अधिकारियों ने सिपाहियों व प्राइवेट लोगों को दौड़ा-दौड़ा कर पकड़ा था ।
इस कार्रवाई को पूरी गोपनीयता से किया गया था, इस कार्रवाई की भनक बांदा एसपी तक को नहीं दी गयी थी। जिसके बाद बांदा पुलिस ने चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था तथा एसओ गिरवां विवेक प्रताप सिंह और पुलिस कांस्टेबल को सस्पेड कर दिया गया था।
वही इस मामले के बाद पूरे प्रकरण की जांच शुरू हो गयी थी, जिसपर बांदा डीआईजी ने पूर्व गिरवां एसओ विवेक प्रताप सिंह को दोषी मानते हुये उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया है। बता दें कि पूर्व में बांदा एसपी ने इस प्रकरण में गिरवां एसओ को निलंबित किया था, मगर अब जांच पूरी होने के बाद बांदा डीआईजी ने निलंबित एसओ को उनके पद से बर्खास्त कर दिया है।