मलखान सिंह कहते हैं कि बांदा-चित्रकूट संसदीय सीट से भाजपा टिकट देती है तो ठीक है, नहीं तो कांग्रेस समेत दूसरे दलों से भी टिकट लेने में वे कोई परहेज नहीं करेंगे। अपने पुराने जीवन को लेकर उनका कहना था कि उन्होंने हमेशा उत्पीडऩ के खिलाफ आवाज उठाई है, आगे भी उत्पीडऩ को बर्दाश्त नहीं करेंगे। खंगार समाज के स्थानीय पदाधिकारी दिवाकर सिंह का कहना है कि उन्होंने भाजपा से लोकसभा में दो सीटें मांगी हैं। इसमें एक बांदा-चित्रकूट और दूसरी सीतापुर जिले की मिश्रिख लोकसभा सीट है।
पूर्व दस्यु मलखान की राजनीतिक पारी कितनी सफल होगी यह तो भविष्य ही बताएगा, लेकिन एक बात तय है कि बांदा-चित्रकूट लोकसभा सीट से पूर्व दस्यु मलखान सिंह चुनावी मैदान में ताल ठोकते हैं तो यहां चुनाव काफी रोचक हो जाएगा। इसकी एक प्रमुख कारण यह भी है कि बुंदेलखंड के चुनावों में डकैतों का हस्तक्षेप शुरू से किसी न किसी तरह जरूर रहा है। बीहड़ की तरह ही बुंदेलखंड भी डकैतों की शरणस्थली के रूप में जाना जाता है। ऐसे में मलखान सिंह की आमद यहां के चुनावी माहौल में सरगर्मी बढ़ाएगी। साथ ही बड़े-बड़े धुरंधरों के समीकरण बिगडऩे के भी पूरे आसार हैं।
मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने 1980 में गैंग के साथ सरेंडर करने वाले मलखान उस जमाने के सबसे खूंखार डकैत थे। छह फीट लंबे दस्यु सरगना के कंधे पर हमेशा रायफल रहती थी। उन पर 32 पुलिस कर्मियों समेत कुल 185 हत्याओं का आरोप रहा है। सरेंडर के बाद उनको भूदान आंदोलन में रहने-बसने के लिए जमीन दी गई थी। फिलहाल उनका ज्यादातर समय अपने गांव भिंड में मंदिर में पूजापाठ में गुजरता है। अब वे राजनीति में अपना कदम रखना चाहते हैं। अगर वे राजनीति में आते हैं तो बांदा-चित्रकूट का चुनाव काफी दिलचस्प हो सकता है।