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खनन माफियाओं पर नहीं दिख रहा पुलिस प्रशासन का कोई असर

locationबांदाPublished: Mar 01, 2019 10:38:03 am

Submitted by:

Neeraj Patel

खनन निर्देशों का पालन करवाने का बीड़ा उठाता प्रशासनिक तंत्र यहां तक खनन निर्देशक के निर्देश का असर भी बेअसर दिखाई दे रहा है।

बांदा. खनन निर्देशों का पालन करवाने का बीड़ा उठाता प्रशासनिक तंत्र यहां तक खनन निर्देशक के निर्देश का असर भी बेअसर दिखाई दे रहा है। जो अभी हाल ही मे कुछ दिनों पूर्व ओवरलोड को लेकर खनन निदेशक द्वारा ताबड़तोड़ कार्रवाई जिले में की गई थी। जिस पर अवैध खनन और बालू माफियाओं के होश उड़े हुए थे। लेकिन इन कार्रवाइयों के बावजूद भी जिले में इकलौती खदान निहालपुर है। जो प्रशासनिक कार्रवाई की पटाक्षेप से, सत्ता पक्ष के सुरक्षा कवच पर महफूज है और अनाधिकृत खनन पर संलिप्त है जिस पर एनजीटी के नियमों को ताक में रखकर बेखौफ तरीके से खनन नीति का मखौल उड़ाते हुए देखा जा सकता हैं।

जिले की नेहालपुर खदान इन दिनों अवैध खनन की सुर्खियों का माध्यम बनी हुई है जिसपर कार्रवाई के नाम पर अधिकारी और जिम्मेदार प्रशासनिक तंत्र जरा सी भी कार्रवाई के नाम पर हाथ डालना मुनासिब नहीं समझते हैं। आखिर इस खदान में ऐसा क्या है जो जिम्मेदार प्रशासनिक तंत्र कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। अभी हाल में ही खनन निर्देशक रोशन जैकब द्धारा ओवरलोड को लेकर जिले में ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए लगभग 250 ओवरलोड ट्रकों पर कार्रवाई की थी, जिस पर बालू माफियाओं के चेहरे मुरझा गए थे लेकिन सुर्खियों में रह रही नामित खदान पर कार्रवाई करने से परहेज क्यों किया जा रहा है, यह समझने से परे है।

इस अनियमित्ता पूर्ण कृत्य पर जिले के एडीएम को जानकारी देने पर एडीएम संतोष बहादुर सिंह ने बताया कि अवैध खनन और एनजीटी के नियमों के विरुद्ध अगर खनन हो रहा है तो कार्रवाई निश्चित रूप से की जाएगी। साथ में बंदूक धारियों द्धारा मीडिया को समाचार संकलन करने से रोकने पर और मीडिया के कवरेज पर बाधा उत्पन्न करने की शिकायत पर भी एडीएम साहब ने कहा कि गलत है। मीडिया को समाचार संकलन करने से नहीं रोका जा सकता, अगर ऐसा कृत्य संबंधित खदान के द्धारा सारगर्भित तत्व उभर कर सामने आते हैं, तो निश्चित रूप से उत्तर दायित्व खदान के प्रति कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

अब देखना यह होगा की इन दिनों चर्चेआम उक्त खदान पर क्या कार्रवाई की जाती है या कार्रवाई के नाम पर औपचारिक खानापूर्ति रस्म अदायगी पर ही सिमटकर रह जाती है।

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