वर्ष 2005 में राजकीय महाविद्यालय में संचालित विधि संकाय को पृथक कर लॉ कॉलेज स्थापित किया गया। शुरुआत से इसे पृथक भवन, पर्याप्त स्टाफ, खेल मैदान, छात्रावास और संसाधन नहीं दिए गए। वर्ष 2014 में लॉ कॉलेज कायड़ रोड स्थित अपने भवन में शिफ्ट हुआ। यहां पर्याप्त जमीन होने के बावजूद खेल मैदान और खेल सुविधाएं नहीं जुटाई गई।
बेशर्मी से वसूल रहे फीस कॉलेज में एलएलबी, एलएलएम और डिप्लोमा पाठ्यक्रम में करीब 500 विद्यार्थी पढ़ते हैं। खेल विकास शुल्क के नाम पर कॉलेज और एमडीएस विश्वविद्यालय 11 साल से प्रति विद्यार्थी 100 रुपए वसूल रहे हैं। खेल प्रतियोगिताओं के नाम पर यहां कुछ नहीं हो रहा।
खेल मैदान ना खेल सामग्री कॉलेज ने 11 साल में खेल मैदान बनाने और खेल सामग्री खरीदना मुनासिब नही समझा। इन्डोर खेलों के लिए टेबल टेनिस, टेनिस, शतरंज, बैडमिंटन, स्क्वॉश का सामान नहीं है। आउटडोर खेलों में क्रिकेट, फुटबॉल, बास्केटबॉल, हॉकी, वॉलीबॉल का साखेल मैदान ना खेल सामग्रीमान और एथेलेटिक्स प्रशिक्षण सुविधाएं नहीं जुटाई गई। खेल शुल्क पर हक जमाने वाला विश्वविद्यालय सिर्फ वसूली में जुटा है। कॉलेज में खेल सुविधाएं विकसित करने में विश्वविद्यालय ने कभी पहल नहीं की।
नहीं हुई प्रशिक्षक की भर्ती पूववर्ती कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2012-13 में लॉ कॉलेज में खेल अधिकारी (प्रशिक्षक), लाइब्रेरियन, एक-एक वरिष्ठ और कनिष्ठ लिपिक, चतुर्थ श्रेणी कार्मिक पद सृजित किए। यहां भर्तियां नहीं हो पाई हैं। खेल प्रशिक्षक के अभाव में विद्यार्थियों को आउटडोर अथवा इन्डोर गेम्स का प्रशिक्षण नहीं मिल रहा। बीते 11 साल में यदा-कदा ही यहां के विद्यार्थियों ने इन्टर कॉलेज अथवा राज्य/राष्ट्रीय स्तर खेलकूद स्पर्धाओं में प्रतिनिधित्व किया है।
फैक्ट फाइल लॉ कॉलेज की स्थापना-वर्ष 2005विद्यार्थी-500 खेल शुल्क-100 रुपए प्रति विद्यार्थी खेल मैदान-दस साल में नहीं बना मैदान खेल सामग्री और शारीरिक शिक्षक-कॉलेज में नहीं उपलब्ध हमारे यहां खेल प्रशिक्षक और खेल मैदान नहीं है। पहले जीसीए के मैदान को इस्तेमाल कर लेते थे। सरकार से बजट मिलेगा तो मैदान बनवाया जाएगा। खेल शुल्क विश्वविद्यालय के निर्देशानुसार ही लिया जा रहा है।
डॉ. डी. के. सिंह, प्राचार्य लॉ कॉलेज कॉलेज और विश्वविद्यालय सिर्फ खेल शुल्क वसूलते हैं। हमने कई बार खेलकूद प्रतियोगिता कराने की मांग की, लेकिन कॉलेज ने तवज्जो नहीं दी। यहां खेलने के लिए सामग्री भी नहीं है।
राजीव भारद्वाज, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष