डॉयल 100 सेवा भी इसको दरकिनार करती नजर आती है। अब चाहे इसे जो भी कहा जाए पर ये अनुमान लगाया ही जा सकता है कि अगर जिले के अधिकरियों की मंशा ना हो तो ओवरलोड ट्रको का बांदा जनपद की कई चौकी थानों को पार करके जा पाना नामुमकिन है। रातों में ओवरलोड ट्रको की धमाचौकड़ी पर मीडिया के खबरों के बाद शायद बांदा प्रशासन कड़े रवैये पर उतारू हो गया है।
कई दिनों से मिल रही सूचना के आधार पर आज एसडीएम व सीओ सिटी ने पुलिस टीम को लेकर ने शहर के नरैनी रोड में अतर्रा चुंगी से लेकर गिर्वा क्षेत्र तक ट्रको को खड़ा कराकर चेक किया व गाड़ियों में क्षमता से अधिक लोडिंग और पर्याप्त दस्तावेज नहीं मिलने पर लगभग 53 ओवरलोड ट्रको पर कार्रवाई करते हुए उन्हें सीज किया।
उत्तर प्रदेश मोरंग खनन के लिए हमेशा से ही विख्यात है। यहां की मोरंग को सोना कहा जाता है। बांदा जिला अवैध-खनन के लिए हमेशा से ही चर्चा में रहा है। यहां रात होते ही मसीनों से अवैध-खनन शुरू हो जाता है, जबकि अगर हम नियम कानूनों की बात करें तो मसीनों से खनन करना अपराध की श्रेणी में आता है।
बांदा में ज्यादातर खदाने अवैध चलती है। जिसपर प्रशासनिक अधिकारी भी समय-समय पर इसकी रोकथाम पर लग जाते है। रात में बिना रॉयल्टी के ट्रक गुजरते है व ओवरलोडो का बोलबाला है। रात भर शहर के बीचोबीच से होते हुए मोरंग से भरे ओवरलोड ट्रक गुजरते है पर शायद बांदा प्रशासनिक अधिकारियों को ये अंदर लोड नजर आते है।
अवैध-खनन और ओवरलोड ट्रको से पुलिस की भी सहालक शुरू हो जाती है। पुलिस रात में इनपर रोकथाम करने की बजाए इनसे वसूली में लगी रहती है। कई दिनों से बिना रवन्ने और ओवरलोड ट्रको की धमाचौकड़ी की सूचना पर शायद अब बांदा प्रशासन की नींद खुल गयी है।
इस कार्यवाही पर सीओ सिटी राघवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया की सूचना के आधार पर ये छापेमार कार्रवाई की गयी है जिसमें कई दर्जन ट्रको को पकड़कर उनपर कार्रवाई की गयी है, आगे भी समय-समय पर ऐसी कार्रवाई जारी रहेगी।