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बांदा

पति की मौत के बाद टूटी मुसीबतों का पहाड़, दलित महिला और उसकी बेटी को निकला गांव से बाहर

पंद्रह साल तक सरकारी सिस्टम से एक छत तक न नसीब हो सकी ।

बांदाApr 10, 2018 / 09:29 am

आकांक्षा सिंह

banda

बांदा. देश में भले ही एससी/एसटी एक्ट को लेकर संग्राम मचा हो, लेकिन इस बीच यूपी के बांदा में बीते 15 वर्षों से एक दलित महिला अपनी जवान बेटी के साथ कुएं के चबूतरे में रहने को इसलिए मजबूर है, क्योंकि पति की मौत के बाद गांव वालों ने उसे गांव से बाहर निकाल दिया था । तब से बेवा ने नसेनी गांव के इस कुएं को ही अपना घर बना लिया है । पंद्रह साल तक सरकारी सिस्टम से एक छत तक न नसीब हो सकी । इससे जिले के अधिकारियों की संवेदनहीनता साफ़ नजर आती है, क्योंकि महिला के आधार कार्ड में भी कुएं का पता है, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है की जिले के अधिकारी अपने कार्य और जनता के प्रति कितने जागरूक हैं ।

मामला बांदा जिले की नरैनी तहसील के नसेनी गांव का है जहां पर 50 वर्षीय दलित विधवा महिला “छोटी” अपनी 15 वर्षीय बेटी रोशनी के साथ एक कुएं पर रह रही है । घर गृहस्थी का सामान जिसमें खाने-पीने का अनाज, बर्तन, चारपाई, कपड़े और किताबें कुएं के चबूतरे में रखे हुए हैं । गांव वाले बताते हैं कि बारिश के समय पानी से बचने के लिए यह हमारे घरों में आकर शरण लेते हैं और बारिश थमते ही फिर वहीं कुएं पर चले जाते हैं । वही मीडिया के माध्यम से यह मामला डीएम के संज्ञान में आते ही उन्होंने अफसरों को मौका मुआयना के निर्देश दिए हैं। भरोसा दिलाया कि जल्द ही सरकारी आवास आवंटित करेंगे ।

महिला मूल रूप से ग्राम पांडेपुरवा (अजयगढ़, जिला पन्ना, एमपी) की रहने वाली है, जहां से 15 साल पहले इसे भगा दिया गया था । आस पड़ोस के लोगों ने बताया कि कुछ साल पहले इन्हें एक जमीन आवंटित हुई थी, लेकिन इसे भी बद किस्मती कहेंगे कि जो जमीन का टुकड़ा मिला वह जगह कब्रिस्तान के बिल्कुल पास थी । पीड़ित परिवार को सरकार की ओर से आधार कार्ड मिला हुआ है, लेकिन पता वही है “कुएं वाला घर” । इसे महिला का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि आज तक महिला को सर ढकने को एक छत तक न नसीब हुई । पूरे मामले में बांदा के जिलाधिकारी दिव्य प्रकाश गिरी ने मामले की गंभीरता को समझते हुए मदद का भरोसा दिलाया है ।

पीड़ित महिला ने बताया की एक दो दिन में मजदूरी मिलती है बाकी खाली जाता है । दूसरों के यहां काम करती हूं, झाड़ू पोछा बर्तन धोकर गुजारा करती हूं । पंद्रह साल पहले पति खत्म हो गया, बच्ची तब छोटी थी । तीन चार साल से अधिकारियों से कालोनी की बात चल रही है लेकिन नही मिली, अपनी बेटी के साथ इसी कुएं में रह रही हूँ । पीड़िता ने रो-२ कर कहा की उसकमे पास रहने को घर तक नहीं है, बेटी की शादी क्या करेंगे, रिश्ते आते हुए और टूट जाते है । बताया की हम लेखपाल, प्रधान से लेकर सब जगह फरियाद लगा चुके है पर हमारी कोई सुनवाई नहीं हुई । पीड़िता की लड़की रौशनी ने रोते हुए बताया की सबके पास मदद के लिए गए लेकिन कालोनी नही मिलती तो क्या करें। पिता जी खत्म हो गए। यही गांव के स्कूल में पढ़ते हैं। माँ के साथ तहसीलदार के पास गए थे लेकिन कोई मदद नही मिली ।

ही इस मामले के बारे में जिलाधिकारी बांदा का कहना है की मीडिया के माध्यम से अभी जानकारी प्राप्त हुई है, इस मामले को मैं तुरंत दिखवा रहा हूं। यह भी देखा जाएगा कि जो भी इसकी आर्थिक स्थिति के अनुसार इनको सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जा सकता हो, इनको तत्काल प्रदान किया जाए । इस मामले को मैं स्वयं दिखाकर जांच कराके यथा संभव सहायता दिलवाऊंगा । सरकारी आवास आवंटन अब तक क्यों नही हुआ यह भी चेक करवाऊंगा । कहा कि कल ही मौके पर अफसरों की टीम जाएगी और सरकारी आवास आवंटन के साथ साथ हर संभव मदद दिलवाने की कार्रवाई शुरू की जाएगी । कहा कि यह पता लगवाया जाएगा कि इन्हें अब तक मदद क्यों नही मिली ।

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