विभाग के सूत्रों ने बताया कि जांच के दौरान परामर्श के जरिए मेधावी विद्यार्थियों को आवंटित की जाने वाली सीटों को ड्रॉप आउट के जरिए संस्थानिक कोटे में तब्दील करने के खेल का खुलासा हुआ। छापे के दौरान मिलने दस्तावेजों से एमबीबीएस और पीजी की सीटों के रुपांतरण, दलालों को कमीशन के भुगतान और नकद राशि के बदले सीट देने का पता चला। सूत्रों के मुताबिक ट्रस्टों के जरिए कई शिक्षण संस्थानों ने प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के नाम पर मेडिकल की सीटें ब्लॉक कर बाद में उसे दूसरे कोटे में बदल कर अधिक शुल्क पर कम अंक पाने वाले विद्यार्थियों को दे दी। इस मामले की शिकायत मिलने के बाद ही विभाग ने दो प्रमुख नेताओं से जुड़े शिक्षण संस्थानों के ठिकानों पर छापे की कार्रवाई की। विभाग ने कार्रवाई के दौरान अभी तक 4.22 करोड़ रुपए नकद जब्त किए हैं। एक शिक्षण संस्थान के ट्रस्टी के ठिकानों से 89 लाख रुपए नकद जब्त किए गए जिसमें से बेंगलूरु के एक ठिकाने से ही करीब ७० लाख रुपए नकद जब्त किए गए। विभाग ने कार्रवाई के दौरान आठ कर्मचारियों के नाम पर किए गए 4.60 करोड़ रुपए के फिक्स डिपॉजिट भी जब्त किए हैं। जिन विद्यार्थियों के नाम का इस्तेमाल सीटों के रुपांतरण के लिए किया गया उनके बयानों से इस खेल के तरीके का खुलासा हुआ।