गौरतलब है कि 20 दिसंबर 2012 को चामराजपेट के बीएमके ले आउट में लिंगराजू की हत्या की गई थी। इस सिलसिले में चामराजपेट पुलिस थाने में हत्या का मामला दर्ज किया गया था। कई दिन बाद भी आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने पर उच्च न्यायालय ने स्वयं मामला दर्ज कर जांच के लिए विशेष जांच दल गठित करने सरकार को आदेश दिया था। सरकार ने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी प्रणव मोहान्ती, अब्दुल अहद और कुछ पुलिस अधिकारियों को लेकर विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित किया था। एसआईटी ने मामले की जांच कर बारह आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय मेंं आरोपपत्र दाखिल किया था। सरकारी वकील अशोक नायक ने मुकदमे की पैरवी की थी।
आठ करोड़ रुपए के दो फ्लैट देने का लालच आरोपियों ने लिंगराजू की पत्नी उमा देवी को आठ करोड़ रुपए के दो फ्लैट देने का लालच देकर उनके खिलाफ झूठा बयान देने के लिए दबाव डाला था। उमादेवी ने पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराते समय हत्या करने वाले आरोपियों को देखने की बात कही थी और न्यायालय में झूठा बयान दिया था। लिंगराजू पत्रकार था और आरटीआई के तहत जानकारी प्राप्त कर जांच एजेंसियों को जानकारी देता था।
आजाद नगर की पूर्व पार्षद गौरम्मा और पति गोविन्दराज के खिलाफ सरकारी भूमि पर अवैध कब्जेे से संंबंधित लोकायुक्त में शिकायत की थी। गोविन्दराज ने लिंगराजू से सौदे बाजी का प्रयास किया था। उसी कारण अन्य आरोपियों की सहायता से लिंगराजू की हत्या की थी।