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लगातार सूखे से 14 हजार करोड़ की बागवानी फसलें नष्ट : मंत्री

locationबैंगलोरPublished: Sep 16, 2017 08:52:38 pm

राज्य में पर्याप्त बारिश नहीं होने व लगातार सूखे के हालात के कारण करीब 14 हजार करोड़ रुपए मूल्य की नारियल व सुपारी की फसलें नष्ट हो गई हैं

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बेंगलूरु. राज्य के राजस्व मंत्री कागोडु तिमप्पा ने कहा कि राज्य में पर्याप्त बारिश नहीं होने व लगातार सूखे के हालात के कारण करीब 14 हजार करोड़ रुपए मूल्य की नारियल व सुपारी की फसलें नष्ट हो गई हैं तिमप्पा ने शुक्रवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पिछले तीन साल से पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण नारियल व सुपारी की फसलों में रोग लगने से करीब 2.25 लाख पेड़ सूख गए।
इस वजह से बागवानी की फसलों पर निर्भर किसान संकट में हैं। नुकसान की भरपाई के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री से भेंट कर 4 हजार करोड़ रुपए की सहायता देने की अपील की गई है। लेकिन वे सुपारी व नारियल का फसलों के नुकसान के लिए मुआवजे का प्रावधान नहीं होने की बात कह रहे हैं। यदि केंद्र मुआवजा नहीं देगा तो राज्य सरकार से थोड़ा मुआवजा दिलाने के बारे में निर्णय किया जाएगा। इस संबंध में रिपोर्ट तैयार है, जिसे मंत्रिमंडल की बैठक में पेश कर निर्णय किया जाएगा। राजस्व मंत्री ने कहा कि राज्य में इस साल भी 30 फीसदी कम बारिश हुई है। लेकिन हाल में मलनाडु व बेयलु सिमे इलाकों में बारिश होने से इस साल पेयजल की समस्या नहीं होगी और किसान अल्पावधि फसलें उगा सकेंगे। लेकिन इस साल मलनाडु तथा तटीय कर्नाटक में बारिश की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इन इलाकों में बहुत ही कम बारिश हुई है। इसके बावजूद राज्य में कुल बुआई क्षेत्र के 70 फीसदी यानी 75 लाख हेक्टयेर में बुवाई हुई है जबकि 20 लाख हेक्टयेर में बुआई नहीं हो सकी। हाल में हुई बारिश से कुछ इलाकों में तालाब भर गए हैं व कहीं आधे ही भरे हैं।

नए तालुकों का गठन जनवरी तक
मंत्री ने कहा कि राज्य में 49 नए तालुकों के गठन की प्रक्रिया अगले साल जनवरी तक पूरी हो जाएगी लेकिन इसमें कुछ बाधाएं हैं जिन्हें दूर किया जाएगा। नए तालुकों के लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए राज्य सरकार आवश्यक धन जारी करेगी। तिमप्पा ने कहा कि राज्य में अंध विश्वास निरोधक कानून लागू करने के संबंध में कानून विशेेषज्ञों की राय लेने का काम लगभग पूरा हो गया है। मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या भी इसे जल्द ही लागू करने के पक्षधर हैं। अति शीघ्र इस विधेेयक को विधानमंडल के सत्र में पेश किया जाएगा। सरकार चाहे कोई भी कानून बना ले पर कानून बना लेने मात्र से अंध विश्वास पर रोक लगेगी, यह कहना गलत होगा।
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