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Govt. hikes MBBS and Dental fees : 7 वर्ष में 50 फीसदी तक बढ़ी मेडिकल व डेंटल पाठ्यक्रम शुल्क

locationबैंगलोरPublished: Jun 22, 2019 08:09:59 pm

Submitted by:

Nikhil Kumar

सरकारी सीटों पर एमबीबीएस और डेंटल की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को अब 15 फीसदी ज्यादा शुल्क देना होगा। AIDSO, विद्यार्थियों, अभिभावकों और शिक्षाविदों ने किया विरोध।
 
 

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Govt. hikes MBBS and Dental fees : 7 वर्ष में 50 फीसदी तक बढ़ी मेडिकल व डेंटल पाठ्यक्रम शुल्क

निजी कॉलेजों के आगे घुटने टेकनेे का आरोप
बेंगलूरु. निजी कॉलेजों में सरकारी सीटों पर एमबीबीएस और डेंटल की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को अब 15 फीसदी ज्यादा शुल्क देना होगा। कॉलेजों की मांग पर प्रदेश सरकार ने कॉलेजों को फीस बढ़ाने की इजाजत दे दी है। लेकिन इसका विरोध भी शुरू हो गया है। All India democratic Student Organisation (AIDSO) के बैनर तले शनिवार को Mysuru Bank चौराहे पर सैकड़ों विद्यार्थियों, अभिभावकों और शिक्षाविदों ने निजी कॉलेजों में medical and dental पाठ्यक्रम शुल्क वृद्धि का विरोध किया। सरकार से इसे वापस लेने की मांग की।

एआइडीएसओ के जिला उपाध्यक्ष राजेश भट्ट ने कहा कि बार-बार विरोध के बावजूद प्रदेश सरकार Private College के आगे घुटने टेककर पाठ्यक्रम शुल्क बढ़ाने की इजाजत दे देती है। आलम यह है कि गत सात वर्षों में शुल्क में 50 फीसदी तक वृद्धि हुई है। निजी कॉलेजों में सरकारी सीटों पर पढ़ाई करने वाले ज्यादातर विद्यार्थी मेधावी और अर्थिक रूप से कमजोर परिवार से होते हैं। जिन पर अब बढ़े हुए शुल्क का भार पड़ेगा। शुल्क घटाने के बजाय सरकार इसे बढ़ा रही है।

इस दौरान विद्यार्थियों ने एनइइटी पर भी आपत्ति जताई। NEET को शिक्षा विरोधी नीति बताते हुए एआइडीएसओ के जिला अध्यक्ष सीतारा एचएम ने कहा कि शिक्षा का केंद्रीकरण विद्यार्थी विरोधी है। उन्होंने कहा कि हर प्रदेश में सिलेबस एक नहीं है। मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस और डेंटल पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए एकल परीक्षा एनइइटी से विद्यार्थियों की योग्यता तय करना उचित नहीं है।

रदर्शन में शामिल एक विद्यार्थी ने कहा कि देश में पहले से ही दो हजार लोग पर एक चिकित्सक हैं। सरकार की नीतियां अगर ऐसी ही रहीं तो एक समय आएगा जब पांच हजार लोग पर एक चिकित्सक भी नहीं होंगे।

तथ्य ये भी
-गत वर्ष निजी कॉलेजों में सरकारी एमबीबीएस सीट के लिए प्रति वर्ष 97,350 रुपए का भुगतान करना पड़ता था। 15 फीसदी बढ़ोतरी के बाद यह राशि 1,11,959 रुपए हो जाएगी। वर्ष 2012 में पाठ्यक्रम शुल्क 46 हजार रुपए ही थी।
-वहीं डेंटल पाठ्यक्रम शुल्क गत वर्ष 63,030 रुपए के मुकाबले विद्यार्थियों को इस वर्ष 72,484 रुपए का भुगतान करना होगा। 2012 में यह रकम 35 हजार ही थी।
-Karnataka Professional College Foundation के अध्यक्ष जयराम एमआर का कहना है कि वृद्धि के बावजूद अन्य देशों की तुलना में भारत में एमबीबीएस और डेंटल की पढ़ाई सस्ती है। बेहतर और गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के लिए शुल्क वृद्धि की मांग जायज है।

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