उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहां निजी क्षेत्र का सहयोग लेकर इसरो अपनी क्षमता का अधिकतम उपयोग कर सकता है और इससे वैश्विक कारोबार में भागीदारी बढ़ाई जा सकती है। हिंदुस्तान को विश्व में अंतरिक्ष गतिविधियों का प्रमुख केंद्र बनाया जा सकता है। वैश्विक कारोबार में भागीदारी बढ़ाने के लिए जो प्रक्रियाएं जरूरी है उसे ध्यान में रखते हुए इस प्रदर्शनी में जैसी पहल की गई है उसे एक अच्छी शुरुआत कहेंगे। निजी क्षेत्र की भागीदारी से एक तो देश का काम आगे बढ़ेगा वहीं वैश्विक अंतरिक्ष कारोबार में हमारी हिस्सेदारी भी बढ़ेगी और देश को आर्थिक लाभ होगा। इस दिशा में यहां जो भी काम हो रहा है वह देश को आगे ले जाएगा।
इसरो के निजीकरण की आशंकाएं सही नहीं है। क्योंकि, इसरो का बहुत सारा काम अभी भी इंडस्ट्री के जरिए ही होता है। आने वाले दिनों में अपनी जरूरतों के लिए जितने उपग्रह चाहिए उसमें अभी काफी कमी है। फिलहाल देश के पास 45 उपग्रह ऑपरेशनल हैं जबकि जरूरतें दोगुनी से अधिक है। अगर इन जरूरतों को पूरा करना है तो ज्यादा काम करना होगा। इसरो एक सरकारी एजेंसी है इसलिए वहां मानव शक्ति बहुत ज्यादा नहीं बढ़ाई जा सकती। इसलिए यह काम उद्योग जगत से कराना होगा। इसके साथ ही अगर वैश्विक कारोबार का कुछ हिस्सा देश में ला सके तो यह देश के लिए बहुत अच्छी बात होगी। यह जो आशंकाएं हैं कि इसरो का निजीकरण हो जाएगा यह गलत है। इसरो का काम अंतरिक्ष तकनीक का उपयोग करते हुए सामाज का विकास करना है जो वह करता रहेगा। इसके लिए जो क्षमता चाहिए उसे अगर इंडस्ट्री में तब्दील करेंगे तभी देश आगे जाएगा।