script22 साल बाद देवेगौड़ा फिर बने भाजपा विरोधी गठजोड़ की धुरी | 22 years later, Deve Gowda again formed the anti-BJP alliance axis | Patrika News

22 साल बाद देवेगौड़ा फिर बने भाजपा विरोधी गठजोड़ की धुरी

locationबैंगलोरPublished: May 24, 2018 04:59:21 pm

Submitted by:

Ram Naresh Gautam

संयुक्त मोर्चा की सरकार बनने की तैयारी हो चुकी थी, उस वक्त देवेगौड़ा की राष्ट्रीय राजनीति में कोई विशिष्ट पहचान नहीं थी

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22 साल बाद देवेगौड़ा फिर बने भाजपा विरोधी गठजोड़ की धुरी

बेंगलूरु. राजनीति में इतिहास नहीं दुहराता है लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री और जद ध के राष्ट्रीय एच डी देवेगौड़ा 22 साल के लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर भाजपा विरोधी राष्ट्रीय गठजोड़ की धुरी के तौर पर उभरे हैं। देवेगौड़ा के बेटे कुमारस्वामी के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण समारोह में भाजपा विरोधी 15 दलों के नेताओं के जुटने से लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष ने एकजुटता का संदेश देने की कोशिश की है।
वर्ष 1996 में देवेगौड़ा राज्य के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। मई की तपिश भरी गर्मी में देश की राजनीतिक पारा भी चढ़ रहा था। बहुमत साबित नहीं कर पाने के कारण अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में केंद्र में बनी भाजपा की पहली सरकार ने इस्तीफा दे दिया था और कांग्रेस के समर्थन से संयुक्त मोर्चा की सरकार बनने की तैयारी हो चुकी थी। प्रधानमंत्री पद के लिए कई दिग्गज नेता दौड़ में थे। उस वक्त देवेगौड़ा की राष्ट्रीय राजनीति में कोई विशिष्ट पहचान नहीं थी लेकिन संयुक्त मोर्चा में वे प्रधानमंत्री पद के लिए निर्विवाद चेहरे के तौर पर उभरे और मुख्यमंत्री के पद से सीधे प्रधानमंत्री की गद्दी तक पहुंचने वाले नेता बने।
63 देवेगौड़ा देश के 11वें प्रधानमंत्री बने लेकिन साल भर भी पद पर नहीं रह पाए। 11 अप्रेल 1997 को देवेगौड़ा ने इंद्र कुमार गुजराल के लिए पद छोड़ दिया। पिछले 22 साल के दौरान देश की राजनीति काफी बदल चुकी है, 85 वर्षीय देवेगौड़ा भी अगला लोकसभा चुनाव नहीं लडऩे की घोषणा कर चुके हैं लेकिन पिछले कुछ महीने में तेजी से बदले घटनाक्रम में देवेगौड़ा एक बार फिर से भाजपा विरोधी दलों के संभावित गठजोड़ की धुरी की तौर पर उभरे हैं।
कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में आए विभिन्न दलों के नेताओं की अगवानी के लिए देवेगौड़ा खुद विधानसौधा परिसर में मौजूद थे। हर नेता से देवेगौड़ा काफी आत्मीयता से मिले। चाहे उनके साथ ही रहे शरद यादव होंं अथवा नई पीढ़ी के अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव। हालांकि, देवेगौड़ा के लिए सत्ता के सर्वोच्च पद को फिर से हासिल करना आसान नहीं है लेकिन वे अपनी राजनीतिक वरिष्ठता और अनुभव के कारण भाजपा विरोधी दलों को एकजुट करने में मददगार साबित हो सकते हैं। भाजपा और कांग्रेस विरोधी गठजोड़ बनाने की कोशिश मेें जुटे तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव भी देवेगौड़ा से कई बार विचार-विमर्श कर चुके हैं।
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