अन्य बीमारियां भी
जिला सर्जन डॉ. शिवानंद मस्तीहोली ने कहा कि जिला अस्पताल में भर्ती होने से पहले प्रसूता अन्य बीमारियों से भी पीडि़त थी। जुड़वा बच्चों को जन्म देने के तुरंत बाद भारी रक्तस्राव के कारण महिला को ए-पॉजिटिव के बजाय बी-पॉजिटिव रक्त चढ़ाया गया था। हालात बिगडऩे पर उसे उसी दिन बीएडीइ अस्पताल में भर्ती कराया गया।
मामले की जांच जारी
उन्होंने बताया कि पीडि़ता शारदा डोड्डमणि (31) बबलेश्वर तालुक के दादमट्टी गांव की रहने वाली थीं। उसे 23 फरवरी को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के कारण 18 मार्च को उसकी मृत्यु हो गई। निजी अस्पताल में भर्ती कराने के बाद 15 दिन में शारदा ठीक हो गई। लेकिन, फेफड़ों के संक्रमण, निम्न रक्तचाप, पुरानी त्वचा रोग, निमोनिया और अन्य बीमारियों के कारण बाद में उसका स्वास्थ्य बिगड़ गया। मौत का कारण वायरल निमोनिया हो सकता है। Covid के लक्षण भी थे। पूरे मामले की जांच जारी है।
मौत का खून चढ़ाने से कोई संबंध नहीं
डॉ. मस्तीहोली ने स्पष्ट किया की शारदा की मौत का खून चढ़ाने से कोई संबंध नहीं है। बीएडीइ अस्पताल में शारदा करीब चार सप्ताह तक भर्ती रही। इस दौरान रक्त संबंधित कोई विशेष स्वास्थ्य समस्या सामने नहीं आई। एनीमिया के बावजूद शारदा ठीक हो गई थी। वे पूरे मामले में स्वास्थ्य आयुक्त को नई रिपोर्ट भेजेंगे।
चिकित्सीय लापरवाही के आरोप
बीएडीइ अस्पताल के चिकित्सकों के अनुसार शारदा का रक्तचाप सामान्य हो गया था। दिल की धड़कन को लेकर भी कोई परेशानी नहीं थी। शारदा के परिजनों ने सरकारी अस्पताल पर चिकित्सकीय लापरवाही के आरोप लगाए हैं। न्याय की मांग की है।