30 फीसदी लोग ज्यादा वजन, मोटापे की चपेट में
- बच्चे भी अछूते नहीं
- पांच वर्षों में बढ़ी समस्या

बेंगलूरु. कर्नाटक (Karnataka) में एक ओर जहां करीब 50 फीसदी किशोरियां एनीमिया से जूझ रही हैं और एक बड़ी आबादी के शरीर में पोषक तत्वों की कमी है वहीं दूसरी ओर एक और चिंताजनक तस्वीर सामने आई है। बीते चार-पांच वर्षों में प्रदेश के लोगों में ज्यादा वजन व मोटापे (More weight and Obesity) की समस्या बढ़ी है। पुरुष और महिला दोनों इससे पीडि़त हैं। बच्चे भी चपेट में आ रहे हैं। पांचवें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-2019-20) में इसका खुलासा हुआ है।
सर्वे रिपोर्ट के अनुसार 30.1 फीसदी महिलाएं बढ़ते वजन और मोटापे से ग्रसित हैं जबकि वर्ष 2015-16 (एनएफएचएस-4) के सर्वेक्षण में 23.3 फीसदी महिलाएं ही चपेट में थीं।
मोटापे के शिकार पुरुषों की संख्या भी बढ़ी है। पांच वर्ष पहले 22.1 फीसदी के मुकाबले इस बार 30.9 फीसदी पुरुषों में ज्यादा वजन या मोटापे की समस्या सामने आई है।
वहीं पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे इन स्वास्थ्य समस्याओं से अछूते नहीं हैं। सर्वे रिपोर्ट के अनुसार 3.2 फीसदी चपेट में हैं जबकि पांच वर्ष पहले 2.6 फीसदी बच्चों में ज्यादा वजन या मोटापे की समस्या सामने आई थी।
काडे अस्पताल में बैरियाट्रिक सर्जन डॉ. अनिल एस. मेहता ने बताया कि ज्यादा वजन और मोटापा शारीरिक असंतुलन के अलावा कई घातक रोग जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मानसिक तनाव, अनिद्रा, लिवर रोग, पित्ताशय, ओस्टिओ-आर्थरायटिस और कई अन्य समस्याओं को आमंत्रित करता है। ज्यादा वजन या मोटापे से शरीर के डायाफ्रॉम और फेफड़ों को फूलने-पिचकने में दिक्कत होती है। सांस जल्दी फूलने लगती है और शरीर के अंगों तक ऑक्सीजन की भरपूर मात्रा नहीं पहुंचती है। मोटापा किसी भी उम्र में अपनी चपेट में ले सकता है।
अब पाइए अपने शहर ( Bangalore News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज