नारायण हेल्थ सिटी के चिकित्सकों ने दो वर्ष की उम्र से हृदय की जानलेवा बीमारी डायलेटेड कार्डियोमायोपैथी से जूझ रहे कोलकाता के चार वर्षीय चहल (परिवर्तित नाम) के हृदय का सफल प्रत्यारोपण किया। अस्पताल की ओर से मंगलवार को आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में बाल हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. शशिराज सुब्रमण्य ने बताया कि दो वर्ष की आयु में बीमारी सामने आई थी। कोलकाता में ही बच्चे का उपचार जारी था, लेकिन कमजोर हृदय रक्त पंप नहीं कर पा रहा था। 11 माह पहले अभिभावकों ने हृदय के लिए पंजीकरण कराया था। गत वर्ष 21 दिसंबर को हृदय दान के रूप में उसे नई जिंदगी मिली, ब्रेन हैमरेज के कारण ब्रेन डेड प्रमाणित 45 वर्षीय मरीज के परिजनों ने हृदय दान किया था।
डॉ. सुब्रमण्य ने कहा कि बच्चा हृदय फेल होने के चौथे चरण में था। काफी कमजोर हो चुका था। प्रत्यारोपण के लिए हृदय मिलने तक उसे जीवित रखना बड़ी चुनौती थी। हालत इतनी नाजुक थी कि गत 11 माह से वह अस्पताल में जीवन रक्षक दवाइयों पर था।
यातायात पुलिस के लिए गर्व की बात
अपर पुलिस आयुक्त (यातायात) डॉ. रविकांते गौड़ा को चिकित्सकों ने सम्मानित किया। दान किए गए हृदय को ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से कम समय में अस्पताल पहुंचाने के लिए यातायात पुलिस की भूमिका को सराहा। डॉ. गौड़ा ने कहा कि किसी की जिंदगी बचाने की मुहिम में शामिल होने का अवसर यातायात पुलिस के लिए गर्व की बात है।
हृदयदान में दोगुना इजाफा
प्रदेश स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अधीन प्रदेश प्रत्यारोपण प्राधिकरण जीवसार्थकते के संयोजक डॉ. किशोर पी. ने कहा कि अंगदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। अंगदान से जुड़ी भ्रांतियों को दूर कर लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। बीते कुछ वर्षों में हृदयदान के मामलों में दो गुना इजाफा हुआ है।