उन्होंने बताया कि नम्मा क्लिनिक में बड़े पैमाने पर जांच के बाद गैर-संचारी रोगों से पीडि़त और जोखिम वाले लोगों का एक डेटाबेस बनाया जाएगा। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के आंकड़ों के अनुसार, कर्नाटक में मधुमेह मेलेटस (डीएम) और उच्च रक्तचाप (एचटीएन) का प्रसार क्रमश: 14.8 प्रतिशत और 25.9 प्रतिशत है। जबकि स्ट्रोक का प्रसार 150 प्रति लाख जनसंख्या है, 126 प्रति मिलियन जनसंख्या की दर के साथ कुल मौतों में कैंसर का योगदान 8.1 प्रतिशत है।
जागरुकता की कमी
मंत्री ने चिंता जताते हुए कहा कि मधुमेह के 30 वर्षीय एक मरीज के पैर में गैंग्रीन हो गया। लेकिन, उन्हें नहीं पता था कि उन्हें मधुमेह है। ऐसी लापरवाही और जागरूकता की कमी हर जगह देखने को मिलती है। लोग हर साल स्वास्थ्य जांच भी नहीं कराते हैं। साल में एक बार संपूर्ण स्वास्थ्य जांच अनिवार्य रूप से करवानी चाहिए।
जीवन की गुणवत्ता प्रभावित
उन्होंने कहा कि पिछले दो या तीन दशकों की तुलना में लोगों की अधिकतम उम्र बढ़ी है। हालांकि, जीवन की गुणवत्ता गंभीर रूप से प्रभावित हुई है। वास्तव में हम कितने साल जीते हैं, इससे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि हम कितने स्वस्थ रहते हैं।
फास्ट फूड के आदी
बच्चे बहुत जल्दी फास्ट फूड के आदी हो रहे हैं। बच्चे ज्यादा बाहर नहीं खेलते हैं। पिछली पीढ़ी खेलती और दौड़ती थी और समग्र रूप से अधिक सक्रिय थी। इससे वे मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत रहे।
गैर-संचारी रोग भारी
वर्तमान समय में संक्रामक रोगों से ज्यादा गैर-संचारी रोग समाज को परेशान कर रहे हैं। गैर-संचारी रोग विकासशील और अविकसित देशों पर भारी पड़ रहे हैं। खासकर भारत में मधुमेह बड़ी संख्या में लोगों को परेशान कर रहा है।
200 से अधिक नम्मा क्लिनिक तैयार
मंत्री ने कहा कि 6,500 से ज्यादा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर शुरू किए जा चुके हैं और इनके जरिए मधुमेह की जांच भी की जाएगी। 200 से अधिक नम्मा क्लिनिक तैयार हैं। इनमें से 100 शहर से बाहर हैं और इसका उद्घाटन इसी महीने किया जाएगा। इसके एक सप्ताह बाद शहर में नम्मा क्लिनिक का उद्घाटन किया जाएगा।
3 वर्षों में 50 फीसदी आबादी की स्वास्थ्य जांच
डॉ. सुधाकर ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में राज्य की 50 फीसदी आबादी की गैर-संचारी रोगों के लिए जांच की गई है। सरकार का लक्ष्य अगले 18 महीनों में राज्य की 100 फीसदी आबादी के लिए स्वास्थ्य जांच करना है। केंद्र सरकार ने कर्नाटक के ई-मानस प्लेटफॉर्म पर आधारित एक नया टेली-मेंटल हेल्थ प्लेटफॉर्म शुरू किया है। बहुत से लोग इस बात से अनजान हैं कि उन्हें मानसिक स्वास्थ्य संबंधी कठिनाइयां हैं। कैंसर के साथ भी कुछ ऐसी ही स्थिति है। किदवई कैंसर अस्पताल के माध्यम से कैंसर के बारे में अधिक जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।