मंत्री पर कई आरोप लगाते हुए उनकी निंदा की है। इस्तीफे की मांग की है। नागरिक समूह बहुत्व कर्नाटक के सदस्यों का आरोप है कि महामारी के दौरान मंत्री बच्चों की पढ़ाई सुनिश्चित करने में विफल रहे हैं। सरकारी स्कूलों के बच्चों की हालत बेहद दयनीय रही। प्रदेश के लाखों बच्चों को भूखा रहना पड़ा। कुपोषण के मामले बढ़े।
स्टंटिंग ने बढ़ाई चिंता
राष्ट्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण सर्वेक्षण के अनुसार कर्नाटक में 35.4 प्रतिशत बच्चे स्टंटिंग (बौनापन) से पीड़ित हैं और 32.9 प्रतिशत बच्चे कम वजन के हैं। हालांकि, कई संस्थानों ने स्कूली छात्रों को अंडे देने का सुझाव दिया है। लेकिन, विभिन्न कारणों से शिक्षा विभाग इसे पूरी तरह से लागू करने में विफल रहा है।
मंत्री विफल
पाठ्यपुस्तक संशोधन को लेकर कई शिक्षाविदों का मानना है कि अव्यवसायिक, अवैज्ञानिक और जातिवादी पाठ्यपुस्तक संशोधन प्रक्रिया शिक्षा के अधिकार अधिनियम की धारा 29 का उल्लंघन करती है। शिक्षा मंत्री इस मुद्दे को भी हल करने में विफल रहे हैं।