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एक्टिव मरीजों में 96 फीसदी असिंप्टोमेटिक

locationबैंगलोरPublished: May 25, 2020 10:26:14 pm

Submitted by:

Nikhil Kumar

इन मरीजों में बुखार, सर्दी-खांसी व पेट खराब होने जैसे कोरोना के लक्षण नहीं मिले।

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एक्टिव मरीजों में 96 फीसदी असिंप्टोमेटिक

बेंगलूरु. प्रदेश में कोरोना वायरस के कुल 1431 एक्टिव मरीज (corona active patient) हैं। इनमें से 96 फीसदी यानी 1370 मरीज असिंप्टोमेटिक (asymptomatic) थे। इन मरीजों में बुखार, सर्दी-खांसी व पेट खराब होने जैसे कोरोना के लक्षण नहीं मिले थे। लगभग सभी मरीज अन्य पॉजिटिव मरीजों के संपर्क के कारण संक्रमित हुए। केवल चार फीसदी यानी 61 मरीज ही सिंप्टोमेटिक ( symptomatic) निकले।

संवेदनशील और अतिसंवेदनशील इलाकों पर ध्यान देने की जरूरत

जयदेव इस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवैस्क्यूलर साइंसेस एंड रिसर्च (Sri Jayadeva Institute of Cardiovascular Sciences and Research) के निदेशक व कोविड-19 जांच लैब के नोडल अधिकारी डॉ. सी. एन. मंजूनाथ के अनुसार मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में लक्षण जल्दी सामने नहीं आते हैं। कई मरीजों में सिर दर्द व अंदरूनी बुखार जैसे मामूली लक्षण होते हैं। मामूली होने के कारण मरीज इन लक्षणों को नजरअंदाज कर देता है। इन लक्षणों के आधार पर मरीज की पहचान करना मुश्किल है। रैंडम जांच ऐसे मरीजों की पहचान करने का एक मात्र तरीका है। विशेषकर संवेदनशील और अतिसंवेदनशील इलाकों पर ध्यान देने की जरूरत है।

मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली वाले सक्षम

राष्ट्रीय मानसिक आरोग्य व स्नायु विज्ञान संस्थान (NIMHANS) में वायरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. वी. रवि के अनुसार असिंप्टोमेटिक कोविड संक्रमण एक मिथक है। सब कुछ इस बाल पर निर्भर करता है कि संदिग्ध व्यक्ति किस तरह से अपने स्वास्थ्य की जानकारी देता है और जानकारी लेने वाला इसे किसी तरह से दर्ज करता है। आम तौर पर मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग वायरस से निपटने में सक्षम होते हैं और कोई विशेष लक्षण भी सामने नहीं आते हैं। ऐसे लक्षणों को आम समझकर संबंधित व्यक्ति इसकी जानकारी नहीं देता है।

समय से पहले हुई पहचान

महामारी विशेषज्ञ (Pandemic Expert) डॉ. गिरिधर आर. बाबू का कहना है कि बड़ी संख्या में असिंप्टोमेटिक मरीज मिलने का मतलब है कि समय से पहले इनकी पहचान की गई। आम तौर पर संक्रमण के दूसरे सप्ताह में लक्षण सामने आते हैं। पहले सप्ताह में किसी को जांचा जाए तो संक्रमण के बावजूद लक्षण नहीं दिखते हैं। लोगों को लगता है कि लक्षण नहीं दिखने के बावजूद कोई शख्स संक्रमित निकला और लोग घबराने लगते हैं।

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