पालिका ने समीक्षा में पाया है कि शहर में ९८० अवैध भवन हैं। कुछ के निर्माण में नक्शा के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया और कुछ बिना अनुमति (without permission) के निर्मित किए गए हैं।
एक अनुमान के मुताबिक राजधानी में करीब १.२० लाख भवनों का निर्माण अवैध रूप से किया गया है। मगर न्यायालयों में मामले लंबित होने आदि कई कारणों से बीबीएमपी के लिए उन्हें ढहाना फिलहाल संभव नहीं हो पा रहा है। शहर में २०० से अधिक झीलों के भराव क्षेत्र, बफर जोन, तथा सैंकड़ों किलोमीटर तक बरसाती नालों पर भवन निर्माण हुए हैं। अधिकारी इन भवनों की निशानदेही कर ढहाने के लिए नोटिस देते हैं तो भवन मालिक न्यायालयों से स्थगन आदेश प्राप्त कर लेते हैं।इसके अलावा स्थानीय जनप्रतनिधियों का दबाव भी कार्रवाई में बाधक होता है।
क्या आपने यह पढ़ा:
https://www.patrika.com/bangalore-news/300-buildings-will-be-demolished-soon-5651698/ शहरी विशेषज्ञों का आरोप है कि अक्सर ऐसे निर्माणों को ही ढहाया जाता है तो जिनके मालिक निम्न और मध्यम आय वर्ग के हैं। संपन्न लोगों के भवन ढहाने की मिसाल नहीं मिलती। बरसाती नालों पर निर्मित २,६२६ भवनों में से १,६०० को ढहाया गया है, ये सभी कम आय वर्ग के परिवारों के थे। विशेषज्ञों का दावा है कि पालिका के अंतर्गत तीन लाख से अधिक मकान बगैर अनुमति के निर्मित किए गए हैं। पालिका में शामिल होने से पहले छह नगर सभा, एक टाउन पंचायत के ११० गांवों में ग्राम पंचायतों से अनुमति लेकर मकान निर्नित किए गए थे। फिर इन मकान मालिकों ने पालिका में पंजीयन नहीं करवाया।
क्या कहते हैं अधिकारी
कई लोगों ने भवन ढहाए जाने की प्रक्रिया के संबंध में न्यायालयों से स्थागन आदेश प्राप्त किया है। इन स्थगन आदेश को रद्द करवाने के बाद उन्हें ढहाने का कार्य आरंभ होगा। अक्रम-सक्रम का मामला भी न्यायालय में लंबित है। १० जलाशयों पर हुए अतिक्रमण हटा कर चारों तरफ बाड़ लगाई गई है। केरल के कोच्चि में भवनों के ढहाने का कार्य कोई नई मिसाल नहीं है। इससे पहले भी बीबीएमी के क्षेत्र में अवैध निर्माण ढहाए गए हैं और अभी भी इस पर काम हो रहा है।
बीएच अनिल कुमार, आयुक्त, बीबीएमपी
क्षेत्रवार चिह्नित अवैध निर्माण
दक्षिण २७४
महादेवपुरा १७६
यलहंका १३६
पूर्व १०८
राजराजेश्वरी नगर १०३
बोम्मनहल्ली ९२
पश्चिम ८८
दासरहल्ली ३