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सांस्कृतिक रूप से कर्नाटक एक था, है और रहेगा : मल्लिका

locationबैंगलोरPublished: Sep 10, 2018 09:59:23 pm

Submitted by:

Rajendra Vyas

युवा साहित्यकार डॉ. वेंकटगिरी दलवाई पुरस्कृत

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सांस्कृतिक रूप से कर्नाटक एक था, है और रहेगा : मल्लिका

नरहल्ली प्रतिष्ठान की ओर से कन्नड़ साहित्य परिषद के सभागार में समारोह

बेंगलूरु. राजनीतिक लाभ के लिए आज उत्तर कर्नाटक, हैदराबाद कर्नाटक जैसे मुद्दे उछालकर राज्य को विभाजित करने का प्रयास हो रहा है, लेकिन कर्नाटक सांस्कृतिक रूप से एक था, एक है और एक ही रहेगा। कृष्णदेवराय विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. मल्लिका घंटी ने यह बात कही।
रविवार को कन्नड़ साहित्य परिषद के सभागार में नरहल्ली प्रतिष्ठान की ओर से युवा साहित्यकार डॉ. वेंकटगिरी दलवाई को पुरस्कृत करते हुए उन्होंने कहा कि कर्नाटक को विभाजित करने के प्रयास सफल नहीं होंगे। इसके लिए राज्य के साहित्य तथा सांस्कृतिक क्षेत्र की शख्सियतें विभाजन की मंशा पालने वालों को करारा जवाब दे सकती हैं। उन्होंने कहा कि काफी संघर्ष के पश्चात समाज के शोषित तथा कमजोर समुदाय के लोगों को साहित्य तथा संस्कृति के क्षेत्र में विशेष पहचान मिल रही है। नरहल्ली प्रतिष्ठान की ओर से उत्तर कर्नाटक तथा हैदराबाद कर्नाटक समेत राज्य के विभिन्न जिलों की युवा साहित्य प्रतिभाओं को पहचान कर प्रति वर्ष उन्हें परस्कृत करने का सराहनीय कार्य कर रहा है। बल्लारी के युवा साहित्यकार डॉ. वेंकटगिरी दलवाई को नरहल्ली प्रतिष्ठान की ओर से शॉल, स्मृति चिन्ह तथा नकद राशि के साथ सम्मानित किया गया। अध्यक्षता साहित्यकार डॉ एच.एस. वेंकटेश मूर्ति ने की।
युवाओं पर राष्ट्र के विकास का दायित्व
बेंगलूरु. वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ, चिकपेट शाखा के तत्वावधान में गोड़वाड़ भवन में उपाध्याय रविंद्र मुनि ने ‘युवा शक्ति के भंडारÓ विषय पर कहा कि किसी भी समाज, संस्था, संघ, संगठन और राष्ट्र के विकास के लिए दायित्व युवाओं पर ही निर्भर है। युवा यदि अच्छी प्रवृत्तियों से संस्कार संपन्न हैं तो ऐसे युवक देश, समाज और राष्ट्र के विकास में अहम भूमिका अदा करते हैं।
उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी जितनी आत्मविश्वासी, दायित्वशील होगी, उतनी ही देश व समाज में रचनात्मक संपन्नता आएगी, जो कि नव निर्माण में सहायक होगी। आत्मविश्वास किसी स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी में नहीं मिलता बल्कि आत्मविश्वास के जागरण के लिए देव, गुरु, धर्म आराधना, संस्कारों की संपन्नता व समाज से निकटता तथा महापुरुषों की वाणी का नित्य श्रवण जरूरी है।
रमणीक मुनि ने कहा कि संन्यासी दुनिया से रिश्ता तोड़कर आध्यात्मिकता रूपी सागर में गहरी डुबकी लगाता है। उम्र में भले ही व्यक्ति बड़ा हो, लेकिन संयम जीवन में जिसने दीक्षा पहले ली हो वह बड़ा कहलाता है। अर्हम मुनि ने स्तवन गीतिका प्रस्तुत की। महामंत्री गौतमचंद धारीवाल ने बताया कि जाप के लाभार्थी कनकपुरा के नेमीचंद पदमाबाई बोहरा का रविन्द्र मुनि ने सम्मान किया। पारस मुनि ने मांगलिक प्रदान की।
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