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कमियां स्वीकार करें, भूल सुधारें

locationबैंगलोरPublished: Sep 23, 2018 07:55:09 pm

Submitted by:

Rajendra Vyas

मन में पवित्रता के लिए स्वयं पर नजर रखनी जरूरी

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कमियां स्वीकार करें, भूल सुधारें

बेंगलूरु. वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ चिकपेट शाखा के तत्वावधान में गोडवाड़ भवन में उपाध्याय प्रवर रविंद्र मुनि के सान्निध्य में रमणीक मुनि ने कहा कि अपने जीवन को निहारते हुए अंदर से देखते हुए यदि इसमें कुछ कमियां हैं तो उन्हें स्वीकार करते हुए भाव संजोने चाहिए कि हम अपनी भूल सुधारें।
उन्होंने कहा कि भाव में शुद्धता मन में पवित्रता लाने के लिए स्वयं पर ही नजर रखनी जरूरी है। जो स्वयं को बदलता है वह धर्मात्मा होता है उसी को धर्म कहते हैं तथा दूसरों को बदलने को तो कर्म कहते हैं। दूसरों को बदलने में ऊर्जा लगाने से बदलाव की गारंटी नहीं है, लेकिन इसी ऊर्जा को स्वयं को बदलने में लगाया जाए तो शत-प्रतिशत सफलता प्राप्त की जा सकती है।
भावों की सुंदर अभिव्यक्ति को महाकाव्य के रूप में जो शब्द दिए गए हैं, यह जब तक धर्म प्रेमियों के मुख से निकलते रहेंगे, संत पुरुषों के मुख से रहस्यों का रहस्योद्घाटन जब तक होता रहेगा तब तक इस रचना के कवि सदैव जिंदा ही रहेंगे। प्रभु, श्रीराम और श्रीकृष्ण तथा भगवान महावीर चले गए, लेकिन रामायण गीता और उत्तराध्ययन सूत्र हैं और रहेंगे। संतों के प्रभाव से शत्रुता के अनेक प्रकार के भेदभाव मनमुटाव मिट जाते हैं। संतों के सानिध्य में रहकर श्रावक को सीखना चाहिए कि अपने आप में सकारात्मक बदलाव आना चाहिए।
संसार में तीन प्रकार के श्रोता होते हैं पहले जो सर्वाधिक होते हैं एक कान से सुनते हैं और दूसरे कान से निकालते हैं ऐसे लोगों के लिए शब्दों की कोई कीमत नहीं होती है। दूसरे प्रकार के श्रोता कान से सुनते हैं और बोलकर प्रेरणा को जाहिर कर देते हैं तथा तीसरे प्रकार के श्रोता जो की सुनते हैं और सुनकर संकल्प लेते हैं कि जो प्रेरणा श्रवण की है उसे ग्रहण करेंगे यानी वे अपने जीवन में बदलाव ले आते हैं। जो गुरु के ध्यान में रहता है वह किसी का बुरा कर ही नहीं सकता है तभी गुरु का महत्व भी साबित होता है। संतों से संबंध गुरु के रूप में या दुकानदार के रूप में बनाना है यह विवेक तो श्रावक को ही करना चाहिए। प्रारंभ में उपाध्याय प्रवर रविंद्र मुनि ने मंगलाचरण किया व मांगलिक प्रदान की। रमणीक मुनि ने ओंकार का सामूहिक उच्चारण कराया। रचित मुनि ने गीतिका सुनाई। महामंत्री गौतमचंद धारीवाल ने बताया कि 16 उपवास की तपस्या का पचखान लेने वाली श्राविका यशोदा धोका का चिकपेट महिला शाखा की रंजना गुलेच्छा, पुष्पा बोहरा व संतोष ओस्तवाल ने सम्मान किया। इन्द्रचंद बिलवाडिय़ा ने बताया कि रविवार के प्रवचन दोपहर 2 बजे से होंगे। रविवार को आचार्य जयमल की 311वीं जयंती पर मुनिवृन्द द्वारा गुणानुवाद होगा। मार्गदर्शक प्रकाशचंद ओस्तवाल ने आभार जताया।
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