चुनौतियां स्वीकार करना सफल जीवन की कुजी- देवेंद्रसागर
बैंगलोरPublished: Aug 05, 2021 08:35:05 am
धर्मसभा का आयोजन
चुनौतियां स्वीकार करना सफल जीवन की कुजी- देवेंद्रसागर
बेंगलूरु. आचार्य देवेंद्रसागर सूरीश्वर ने जयनगर में कहा कि हम जीवित हैं तो कठिनाइयां, चुनौतियां आएंगी ही। किंतु स्मरण रहे, कठिनाइयों और बाधाओं का प्रयोजन हमें तोडऩा-गिराना नहीं बल्कि ये हमें सुदृढ़ करने के माध्यम हैं। बाधाओं का सकारात्मक पक्ष यह है कि कठिनाइयों से निपटने में उन कौशलों और जानकारियों का प्रयोग आवश्यक होता है जो सामान्य अवस्था में सुषुप्त, निष्क्रिय पड़ी रहती हैं और दुष्कर परिस्थितियों से जूझने पर ही सक्रिय स्थिति में आती हैं। दुष्कर प्रतीत होती एक ही परिस्थिति दो व्यक्तियों को अलग-अलग तरीके से प्रभावित करती है। पहले को नहीं सूझता, वह क्या करे और स्वयं को एकाकी, असहाय मान कर घुटने टेक देता है, प्रभु को कोसता है। समाधान के लिए वह कदाचित दूसरों के समक्ष अपना दुखड़ा रोकर समाधान की अपेक्षा रखता है। दूसरा व्यक्ति अधीर नहीं होता, वह समाधान के लिए अनवरत, अथक प्रयास करता है और विजयी होता है। वह विकट परिस्थिति के लिए प्रभु को दोषी नहीं करार देता। वह जानता है कि प्रत्येक समस्या आरंभ में बड़ी लगती है और प्रभु उसी योद्धा को अग्निपरीक्षा से गुजारते हैं जिन्हें वह निखारने, संवारने और बड़ी भूमिका निभाने का सुपात्र समझते हैं। आचार्य का कहना था कि चुनौतियां स्वीकार करना सफल जीवन की कुंजी है। जो ऐसा नहीं करते, उन्हें मृतप्राय समझा जाए।Ó कठिन क्षणों में प्रभु को कोसना अज्ञानता है। उनका सूक्ष्मांश आपके भीतर है, उन्हें स्वयं से पृथक अस्मिता न मानें। यह भाव रहेगा तो विकट परिस्थितियों में आपको संबल और साहस मिलता रहेगा और आप किसी भी संकट से उबर जाएंगे। न भूलें कि कठिनाई का क्षण भले ही असह्य प्रतीत हो, संभावनाओं की राह इन्हीं गलियारों से गुजरती है। जब आप कठिनाई के कगार पर हों तो प्रभु पर विश्वास रखें। निश्चय ही वह गिरने पर आपको संभाल लेंगे।