जवेनहल्ली मठ के संगमेश्वरा स्वामी ने कहा कि मानव जीवन मिला है। आपको जैन धर्म एवं तेरापंथ धर्मसंघ मिला है। हम भी संत हैं लेकिन जैन संत में और हममें अंतर है। वे पैदल यात्रा करते हैं और अपने पास कुछ भी नहीं रखते। त्यागमय जीवन से जीवन का शृंृंगार बढ़ाते हुए जनमानस में नई चेतना और सही रास्ता दिखाते हैं। हम सौभाग्यशाली हैं कि ऐसे आचार्य के दीक्षा दिवस के कार्यक्रम मे शरीक होकर कृतार्थ हुए हैं।
मुनि कुमुदकुमार ने कहा महाश्रमणजी का इंद्रिय संयम और आत्मसंयम अनुकरणीय है। कार्यक्रम का शुभारंभ कन्या मंडल के मंगलाचरण से हुआ। सभाध्यक्ष जयंतीलाल कोठारी, तेरापंथ युवक परिषद के मंत्री जयंत गुलगुलिया, विमल पितलिया, मदनलाल गादिया, मूर्तिपूजक समाज के देवराज पालरेचा ने विचार व्यक्त किए। महिला मण्डल ने गीतिका प्रस्तुत की। धन्यवाद सभा मंत्री सोहनलाल तातेड़ ने दिया। कार्यक्रम का संचालन सभा उपाध्यक्ष महावीर भंसाली ने किया।
आचार्य महाश्रमण का दीक्षा दिवस मनाया
बेंगलूरु. विजयनगर स्थित अर्हम भवन में आचार्य महाश्रमण का 46वां दीक्षा दिवस साध्वी मधुस्मिता के सान्निध्य में मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वी सहजयशा के मंगला चरण से हुआ।
साध्वी मधुस्मिता ने दीक्षा दिवस पर अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। साध्वी ने कहा कि गुरुदेव में पूर्ववर्ती दसों आचार्यों के विशेष गुण आपमें समाहित हैं। इस अवसर पर सभाध्यक्ष बंशीलाल पितलिया ने स्वागत किया। छत्रसिंह मालू ने भी शुभकामना गीत एवं विचार रखे। बिमल सामसुखा ने श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन किया। विजयनगर सभा के मंत्री कमल तातेड़ ने संचालन किया।
संघ को शोभायमान कर रहे आचार्य महाश्रमण
मैसूरु. आचार्य महाश्रमण का 46वांं दीक्षा दिवस सिद्धार्थनगर स्थित जीतो कार्यालय परिसर में डॉ. मुनि अमृत कुमार, मुनि नरेश कुमार के सान्निध्य में मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुनि द्वारा मंत्रोच्चार से हुआ। उपासक अशोक बुरड़ ने महाश्रमण अष्टकम का संगान किया।
जीतो महिला विंग की ओर से मंगलाचरण किया गया। जीतो मैसूरु के उपाध्यक्ष एवं तेरापंथ ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रकाश दक ने स्वागत भाषण दिया। तेरापंथ सभा मैसूरु के मंत्री, तेयुप मैसूरु के अध्यक्ष एवं महिला मंडल मंत्री खामोश मेहर ने विचार व्यक्त किए। विक्रम पितलिया और संदीप सामरा ने गीतिका का संगान किया।
डॉ. मुनि अमृत कुमार ने अपने प्रवचन में कहा कि आचार्य महाश्रमण ने तुलसी की अनुशासना में पूर्ण समर्पण के साथ ज्ञान, दर्शन, चरित्र की आराधना कर अपने जीवन को उन्नत बनाया। उसी समर्पण और निष्ठा से आप मुनि मुदित से महाश्रमण पद, युवाचार्य महाश्रमण तथा वर्तमान में आचार्य महाश्रमण के रूप में संघ को शोभायमान कर रहे हैं। संयोजन पंकज कावडिय़ा ने किया।