आचार्य शिवमुनि उच्चकोटि के ध्यान साधक-साध्वी ऋद्धिश्री
बैंगलोरPublished: Sep 18, 2020 10:34:40 am
धर्मसभा को सम्बोधित किया
आचार्य शिवमुनि उच्चकोटि के ध्यान साधक-साध्वी ऋद्धिश्री
बेंगलूरु. मरुधर केसरी जैन भवन, राजाजीनगर में चातुर्मास कर रही साध्वी ऋद्धिश्री ने श्रमण संघीय चतुर्थ पट्टधर आचार्य डॉ. शिवमुनि के 79वें जन्मोत्सव पर धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि आचार्य भगवन एक वटवृक्ष के समान हैं। जिस तरह वटवृक्ष का बीज दिखने में बहुत ही छोटा होता है जब वह बड़ा विशाल वटवृक्ष बन जाता है तो रास्ते के राहगीर के लिए बहुत ही उपयोगी बन जाता है। आचार्य शिवमुनि उच्चकोटि के ध्यान साधक एवं जैन समुदाय के एक अत्यंत पवित्र संत हैं। उन्होंने कहा कि जैन दर्शन में,जैन धर्म में अद्भुत शक्तियां हंै जिन्हें प्राप्त करना बेहद मुश्किल है। उन्हीं शक्तियों में ध्यान साधना भी है। श्रमण संस्कृति का मूल आधार अहिंसा और ध्यान-साधना है। अत: यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि जैन परम्परा में ध्यान की क्या परम्परा, मान्यता और दर्शन है।परमात्मा कहते हैं कि मनुष्य हर पल ध्यान में ही रहता है। ध्यान के बिना वह रह नहीं सकता। जैन दर्शन के अनुसार ध्यान दो प्रकार के होते हैं, नकारात्मक और सकारात्मक। आर्तध्यान और रौद्रध्यान नकारात्मक ध्यान हैं तथा धर्मध्यान और शुक्लध्यान सकारात्मक ध्यान हैं। धर्म ध्यान और शुक्ल ध्यान मोक्ष मार्ग की ओर ले जाता है। मनुष्य प्राय: नकारात्मक ध्यान में रहता है इसलिए दुखी है। जैन कॉन्फ्रेंन्स के तत्वावधान में 79वें जन्मोत्सव पर 79000 सामायिक एवं एकासन तप आप सभी सहभागी बन इसे सफल बनाने तथा ज्यादा से ज्यादा एकासन तप एवं सामायिक गुरु चरणो में भेंट करने का अनुरोध किया। उत्तमचंद रातडिय़ा ने धर्मसभा का संचालन किया और पद्मचंद रातडिय़ा ने आभार जताया।