scriptआचार्य विजय रत्नसेन सूरी का आगामी चातुर्मास बीजापुर में | Acharya Vijay Ratnasen Suri's upcoming Chaturmas in Bijapur | Patrika News

आचार्य विजय रत्नसेन सूरी का आगामी चातुर्मास बीजापुर में

locationबैंगलोरPublished: Feb 25, 2021 09:28:38 pm

Submitted by:

Yogesh Sharma

पाश्र्व लब्धिधाम में मनाया संयम अनुमोदना महोत्सव

आचार्य विजय रत्नसेन सूरी का आगामी चातुर्मास बीजापुर में

आचार्य विजय रत्नसेन सूरी का आगामी चातुर्मास बीजापुर में

बेंगलूरु. पाश्र्वलब्धि धाम प्रांगण में जैनाचार्य विजय रत्नसेन सूरीश्वर एवं तपस्विनी साध्वी उज्ज्वलज्योतिश्री के संयम जीवन के 44 वर्ष की पूर्णाहुति एवं 45वें वर्ष में मंगल प्रवेश के उपलक्ष्य में संयम अनुमोदना महोत्सव का आयोजन हुआ।
सभा संचालक सुरेन्द्रगुरु ने सभी का स्वागत कर आचार्य का परिचय दिया। पिता-पुत्र संगीतकार रूप दिनेशभाई-विकास भाई कोचर ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। चेन्नई से आए कल्पेशभाई, राजकुमार कोठारी ने ज्ञान दीपक प्रज्वलित किया।
मुनि शालीभद्र विजय एवं मुनि स्थूलभद्रविजय ने आचार्य का परिचय कराया। बालक-हितज्ञ ने गुरु भक्ति गीत प्रस्तुत किया। बाल मुमुक्षु विराज चोपड़ा ने अपने भाव व्यक्त किए। मुनि प्रशांतरत्न विजय ने आचार्य के साहित्य का परिचय दिया। धनेश चौहान चेन्नई, प्रकाश मेहता, हितेश कोठारी, प्रकाश बड़ौला ने विचार व्यक्त किए। चिंतामणि पाश्र्वनाथ जैन संघ बीजापुर के ट्रस्ट मंडल की ओर से सुरेमल ओसवाल ने आचार्य से आगामी चातुर्मास की विनति की। आचार्य ने सहर्ष अनुमति प्रदान की। इस प्रसंग पर जैन हिन्दी साहित्य दिवाकर आचार्य द्वारा आलेखित 215वीं सात वासुदेव-प्रतिवासु देव बलदेव”का विमोचन दूधमल,राजकुमार कोठारी, प्रसन्न पगरिया, प्रसन्न पुनमिया, जितेश बीजापुर जैन संघ के ट्रस्टियों ने किया। आशा संचेती ने गहुलीगीत एवं कुशलभाइ ने गुरु भक्ति गीत प्रस्तुत किया।
धर्मसभा में जैनाचार्य ने कहा कि चार गतियों में देवगति में अतिसुख, नरकगति में अति दुख और पशुगति में अतिभूख के कारण धर्म की आराधना दुलर्भ है। धर्म की आराधना मात्र मनुष्य गति में ही संभव है।
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