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चुनाव ड्यूटी से अनुपस्थित रहने पर होगी कार्रवाई

locationबैंगलोरPublished: Mar 24, 2019 01:14:55 am

बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका के आयुक्त व बेंगलूरु शहरी जिले के निर्वाचन अधिकारी एन.मंजुनाथ प्रसाद ने चुनाव ड्यूटी से अनुपस्थित रहने वाले अधिकारियों को चेतावनी जारी करते हुए कहा कि ऐसे अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करने सहित कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

चुनाव ड्यूटी से अनुपस्थित रहने पर होगी कार्रवाई

चुनाव ड्यूटी से अनुपस्थित रहने पर होगी कार्रवाई

बेंंगलूरु. बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका के आयुक्त व बेंगलूरु शहरी जिले के निर्वाचन अधिकारी एन.मंजुनाथ प्रसाद ने चुनाव ड्यूटी से अनुपस्थित रहने वाले अधिकारियों को चेतावनी जारी करते हुए कहा कि ऐसे अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करने सहित कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

उन्होने शनिवार को यहां रिटर्निंग अधिकारियों, सहायक रिटर्निंग अधिकारियों और बेंगलूरु मध्य, बेंगलूरु उत्तर और बेंगलूरु दक्षिण लोकसभा क्षेत्रों के नोडल अधिकारियों की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि चुनाव ड्यूटी के लिए चयनित अधिकारियों को चुनाव ड्यूटी से छूट पाने के लिए किसी तरह का बहाना नहीं चलेगा।

अधिकारियों को लोकतंत्र को मजबूत करने के इस पवित्र काम को हर हाल में करना होगा। बैठक में बेंगलूरु शहरी जिले के उपायुक्त बी.एम. विजय शंकर, पालिका के अतिरिक्त आयुक्त (प्रशासन) डॉ. लोकेश, अतिरिक्त आयुक्त एस.एस. नकुल, पालिका के विशेष आयुक्त मनोज कुमार मीणा और अन्य अदिकारी उपस्थित थे।

बीडीए अध्यक्ष और आयुक्त के मतभेद चरम पर
बेंगलूरु. यशवंतपुर क्षेत्र के विधायक तथा बेंगलूरु शहर विकास प्राधिकरण (बीडीए) के अध्यक्ष एसटी सोमशेखर ने बीडीए के आयुक्त राकेश सिंह को लेकर कड़े तेवर दिखाते हुए प्राधिकरण में अनियमितताओं पर खुली बहस की चुनौती दी है। शनिवार को उन्होंने कहा कि हाल ही में उन्होंने बीडीए के आयुक्त के तबादले की मांग के साथ मुख्यमंत्री के साथ मुलाकात की थी। मुख्यमंत्री ने उसी दिन शाम तक तबादले का वादा किया था, लेकिन अब तक तबादला नहीं किया गया है। उप मुख्यमंत्री डॉ. परमेश्वर ने भी समाधान का वादा किया था, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।


सोमशेखर ने दावा किया कि आयुक्त ने एक ब्लैक लिस्टेड ठेकेदार को 145 करोड़ रुपए की निविदाएं मंजूर की हैं। जबकि नियमों के मुताबिक कार्य करने वाले ठेकेदारों को परेशान किया जा रहा है। बीडीए की ओर से विकसित भूखंडों में जिन किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई है, उनको भूखंड आवंटन का अधिकार कार्यकारी अभियंताओं के पास था, जिसे छीन कर आयुक्त को दिया गया है।


ऐसे में किसानों के साथ न्याय नहीं हो रहा है। मुआवजे की राशि के लिए किसानों को बीडीए आयुक्त कार्यालय के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। प्राधिकरण का अध्यक्ष होने के बावजूद उनके आदेश का की कोई कीमत नहीं है। ऐसे में वे इस पद पर अब केवल एक शो पीस बन कर रह गए हैं।

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