कर्म व्यक्ति के अपने अपने होते हैं-साध्वी समृद्धिश्री
बैंगलोरPublished: Sep 26, 2021 07:41:33 am
चामराजपेट स्थानक में धर्मसभा
कर्म व्यक्ति के अपने अपने होते हैं-साध्वी समृद्धिश्री
बेंगलूरु. गुरु ज्येष्ठ पुष्कर दरबार में डॉ. समृद्धिश्री ने कहा कि विश्व के कुछ ज्ञानियों का मत है कि शरीर में वात, पित्त और कफ के असंतुलन से व्यक्ति को दुख और पीड़ा का सामना करना पड़ता है। कुछ ज्ञानी मानते हैं कि जन्म कुंडली के ग्रह ग्रोचर में अनुकूलता का प्रतिकूलता के आने पर व्यक्तियों को जीवन में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है। लेकिन आत्म ज्ञानियों का अभिमत है कि व्यक्तिअपने जीवन में जैसे कर्म करता है। उसके ही प्रति फलों का सामना जीवन में करना होता है। कर्म व्यक्ति के अपने अपने होते हैं अगर हम ग्रह गोचर में विश्वास रखते हैं तो उनका प्रभाव हम पर नहीं ग्रह गोचर ऊपर ही पढऩा चाहिए। लेकिन जब निजी तौर पर में प्रति फलों का सामना करना होता है तो इसका अर्थ यह है कि हमारे कर्म ही समस्त दुख और सुख के उत्तरदाई हैं। कर्मों का अनुबंधन करते हुए तो व्यक्ति को कोई बोध नहीं रहता। लेकिन जब कर्मों का प्रतिफल मिलता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। प्रति फलों के समय एहसास होता है कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं। यह कितनी विचित्र बात है कि समुद्र मंथन के समय जहर भी निकला था और लक्ष्मी निकली थी। विष्णु के हाथ में लक्ष्मी आई तो शंकर को विश मिला। साध्वी डॉ. दर्शनप्रभा ने कहा कि जब कर्मों के फल भुगतने पड़ते हैं तब इंसान ही कहता है कि उसने ऐसा कोई कर्म नहीं किया जिसका फल भुगतना पड़ रहा है। रविवार को साध्वी कुसुमवती की जयंती मनाई जाएगी।