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शांति, प्रेम से जीने के लिए अपनाएं शाकाहार

locationबैंगलोरPublished: May 28, 2022 02:45:40 am

Submitted by:

Yogesh Sharma

आचार्य चंदना से विशेष बातचीत

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योगेश शर्मा
बेंगलूरु. देश-विदेश में शिक्षा और चिकित्सा सेवा के जरिए पिछले पांच दशक से गरीबों के जीवन में रोशनी लाने में जुटी पद्मश्री से सम्मानित आचार्य चंदना का कहना है कि मनुष्य को अगर शांति और प्रेम से जीना है तो उसे विशुद्ध शाकाहारी गाय की तरह जीना होगा। दूसरों की खुशी के लिए कुछ योगदान कर सकें, ऐसा जीवन जीना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो मांसाहारी है वह निश्चित रूप से हिंसक होगा। उन्होंने शेर और हरिण का उदाहरण देकर अपना मतंव्य स्पष्ट किया।


जीतो के ग्रांड समिट में भाग लेने पहुंची आचार्य चंदना ने ‘राजस्थान पत्रिकाÓ से विशेष भेंट में यह बात कही। उन्होंने राज्य में लाखों स्कूली विद्यार्थियों को मध्याह्न भोजन में अंडा परोसे जाने पर दु:ख जताया। उन्होंने इसे जीव हत्या बताया। उन्होंने कहा कि मैं निश्चित रूप से लोगों से अपील करूंगी कि वे शाकाहार को अपनाएं। उन्होंने कहा कि मांसाहार हिंसक प्रवृत्ति को बढ़ावा देता है। इसलिए व्यक्ति हिंसक है, एक-दूसरे की हत्या करता है और विनाश की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि अहिंसक प्राणी, पशु और पक्षी किसी को तकलीफ नहीं देते हैं। उन्होंने स्कूली बच्चों से कहा कि वे सरकार से कह दें कि वे इस प्रकार का (अंडा युक्त) भोजन नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि बच्चों को मांसाहार के दुष्परिणाम बताए जाने चाहिए।

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राष्ट्र निर्माण में हर व्यक्ति का योगदान
आचार्य चंदना ने कहा कि राष्ट्र के निर्माण में प्रत्येक व्यक्ति का योगदान होता है। अकेला व्यक्ति राष्ट्र का निर्माण नहीं कर सकता है। देश के प्रत्येक व्यक्ति को अपने दायित्व का निर्वहन पूरी ईमानदारी, लगन व मेहनत से करना चाहिए। उन्होंने कहा कि काम के प्रति ईमानदार जरूरी है। करवंचना और श्रम से कतराना देश के विकास में बाधक है।

कर्म के साथ जीने से देश का विकास
आचार्य चंदना ने कहा कि यह कर्मयोगी कृष्ण का देश है। कृष्ण को जो भी काम करना पड़ा उन्होंने किया। हमने कर्म को सम्मान दिया है। हमें कर्म को सम्मान देना चाहिए। देश का प्रत्येक व्यक्ति श्रम के साथ जीना सीखे। कर्म के साथ जीने से ही देश का विकास हो सकेगा। प्रत्येक व्यक्ति को कृष्ण की भांति कर्मयोगी बनना चाहिए। उन्होंने साफ-सफाई पर बल देते हुए कहा कि हमें सड़कों पर कचरा नहीं फेंकना चाहिए। हमें सड़क पर कचरा फेंकने का अधिकार किसने दिया है? उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह अपने दायित्व का निर्वाह ढंग से करे।

जहां जिनालय वहां विद्यालय, औषधालय भी हो
जीतो अपेक्स के उपाध्यक्ष पारस भंडारी ने कहा कि महावीर जयंती के अवसर पर समाज सेवा के क्षेत्र में देश का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान 85 वर्षीय आचार्य चंदना को मिला है। उन्हें देश में प्रेम से ‘ताई मांÓ बुलाया जाता है। आचार्य चंदना का मंत्र है कि जहां जिनालय है, वहां विद्यालय और औषधालय भी होना चाहिए। इसके लिए उन्होंने बिहार, गुजरात, राजस्थान और नेपाल समेत कई जगहों पर अत्याधुनिक शिक्षा केंद्रों की स्थापना की है। इसके साथ ही कच्छ और नेपाल में भूकंप, बाढ़, सुनामी और हाल ही कोरोना संकट में राहत कार्यों को युद्धस्तर पर अंजाम दिया। इस अवसर पर माइक्रोलैब्स के दिलीप सुराणा, अर्चना सुराणा, जीतो बेंगलूरु अध्यक्ष अशोक नागौरी, महासचिव महेश नाहर, नरेन्द्र मूथा, महावीर खांटेड़, दिलीप जैन, राजेश मेहता, जीतो केकेजी जोन के मीडिया संयोजक सज्जनराज मेहता आदि उपस्थित थे।
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