इससे पहले नवम्बर 2016 में उन्नत जगुआर को प्रारंभिक परिचालन मंजूरी मिली थी।पिछले ही महीने एचएएल ने जगुआर युद्धक विमानों को अत्याधुनिक एक्टिव इलेक्ट्रिकल स्कैन्ड एरे (एसा) राडारों से सुसज्जित करने में सफलता हासिल की। एसा राडारों के साथ जगुआर की सफल उड़ान भी हो चुकी है।
एचएएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक टी.सुवर्ण राजू ने कहा कि जगुआर को नई तकनीक और उपकरणों के साथ उन्नत करने का काम पूरा होने के करीब है। उन्नत जगुआर को जल्दी ही अंतिम परिचालन मंजूरी मिल जाएगी। उन्होंने कहा ‘बहुत संभव है यह इसी महीने के अंत तक पूरा हो जाएगा और अंतिम परिचालन मंजूरी मिल जाएगी।’ 2028 तक भारतीय वायुसेना की ताकत बने रहेंगे जगुआर 6 0 के दशक में बेहद घातक युद्धक माने जाते थे जिनमें दुश्मन के ठिकाने पर
घुस कर हमला करने की काबिलियत थी।
लेकिन, समय के साथ नेविगेशन सिस्टम व कई प्रणालियां पुरानी हो गई और फ्रांस ने 30 साल पहले ही इसे अपने बेड़े से अलग कर दिया। भारत विश्व का एक मात्र ऐसा देश है जो अभी भी इन विमानों की सेवाएं ले रहा है। एचएएल का दावा है कि उन्नयन के बाद ये विमान वर्ष 2028 तक भारतीय वायुसेना की ताकत बने रहेंगे। वायुसेना के पास लगभग 100 जगुआर विमान हैं जिनमें से 20 विमानों की तैनाती तटीय ठिकानों पर की गई हैं।
नई प्रणालियों से लैस जगुआर
दरअसल, नए युद्धक विमानों की खरीद में हो रही देरी के कारण पुराने विमानों को ही उन्नत कर भारतीय वायुसेना की स्क्वाड्रन क्षमता बनाए रखने का प्रयास हो रहा है। इसी कड़ी में जगुआर विमानों का उन्नयन हो रहा है। एचएएल ने कहा है कि शुरू में तीन जगुआर डारिन-1 विमानों को उन्नत कर डारिन-3 स्तर का बनाया गया है। इसके लिए इस युद्धक को कई नई प्रणालियों से लैस किया गया जिसमें अत्याधुनिक एवियोनिक्स, ओपन आर्किटेक्चर मिशन कंप्यूटर, इंजन एवं फ्लाइट उपकरण प्रणाली, आग नियंत्रक राडार, जीपीएस युक्त अत्याधुनिक आर्ट इनॢशयल नेविगेशन सिस्टम और जियोदेशिक हाइट करेक्शन, ठोस डिजिटल वीडियो रिकॉर्डिंग प्रणाली, ठोस फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर, स्मार्ट मल्टी फंक्शन डिस्प्ले, 20 हजार फीट रेंज का रेडियो अल्मामीटर और ऑटो पायलट सहित कई नई प्रणालियां लगाई गई हैं। इसे एसा राडार से भी सुसज्जित किया जा चुका है।