राज्य सरकार ने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दिनेश माहेश्वरी के नेतृत्व वाली खंड पीठ के सामने यह निवेदन प्रस्तुत किया है। माहेश्वरी के नेतृत्व वाली खंड पीठ ही बीबीएमपी की सीमा के भीतर प्रकाशित होने वाले गैरकानूनी विज्ञापनों, फ्लैक्स और बैनर की निगरानी कर रही है।
पिछले 28 अगस्त को ही महानगर पालिका परिषद ने एक प्रस्ताव पारित कर बैनर, फ्लेक्स, पोस्टर और होर्डिंग्स आदि के प्रकाशन पर रोक लगा दी थी। इसके बाद विज्ञापनों के प्रकाशन पर रोक के लिए यह नीतिगत प्रस्ताव राज्य सरकार के पास मंजूरी के लिए भेज दिया गया था। हाई कोर्ट में बीबीएमपी ने कहा कि अदालत के आदेशानुसार गैरकानूनी विज्ञापनों को हटाने का काम लगभग पूरा कर लिया गया है।
अब शहर में कानूनी रूप से प्रकाशित विज्ञापनों की संक्या 216 0 रह गई है। राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वकीलों ने हाई कोर्ट को बताया कि विज्ञापन हटाने के खिलाफ 1631 आवेदन मिले हैं जिसमें इस कदम पर आपत्ति जताई गई है। बीबीएमपी ने दावा किया कि सभी आवेदनों और आपत्तियों का निपटारा किया जा चुका है।
चूंकि, हाई कोर्ट ने बीबीएमपी के साथ-साथ पुलिस को भी कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया था इसलिए पुलिस भी अदालत में पेश हुई। पुलिस प्रशासन ने हाई कोर्ट को बताया कि विभाग ने इस मामले में 234 प्राथमिकी दर्ज की और पिछले तीन सप्ताह के दौरान इनमें से 228 मामलों की जांच पूरी कर ली गई। ये मामले अब निचली अदालतों में लंबित हैं और आदेश का इंतजार किया जा रहा है।
खंड पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 11 सितम्बर की तारीख तय की लेकिन विज्ञापन एजेंसियां भी हाईकोर्ट पहुंची हैं और उन्होंने बीबीएमपी द्वारा उठाए गए कदम का विरोध किया है। एकल बेंच इस मामले पर आगामी 4 सितम्बर को सुनवाई करेगी।