रुमेटोलॉजिस्टों की कमी से जूझ रहे मरीज
32 में से 25 शहर में
बेंगलूरु. जोड़ों के दर्द का इलाज करने वाले विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी के कारण मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा।
रुमेटोलॉजिस्टों की बेहद कम संख्या होने से गठिया व इसके विभिन्न प्रकार के मरीज चिकित्सकों तक पहुंचने के लिए कई सप्ताह का इंतजार करने पर मजबूर हो रहे हैं। गठिया की 80 फीसदी मरीज महिलाएं हैं। प्रदेश में सिर्फ 32 रुमेटोलॉजिस्ट हैं और इनमें से 25 बेंगलूरु में ही हैं। प्रदेश में बाल रुमेटोलॉजिस्ट केवल पांच हैं, जिनमें से तीन बेंगलूरु में हैं।
विक्रम अस्पताल में इंस्टीट्यूट ऑफ रुमेटोलॉजी व क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी विभाग शुरू होने के अवसर पर गुरुवार को रुमेटोलॉजिस्ट डॉ. बी.जी. धर्मानंद ने कहा, चिकित्सकों और जांच सुविधाओं की कमी का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। बीमारी की पहचान में देरी हो रही है। देश में 500 के रुमेटोलॉजिस्ट हैं। जबकि जरूरत करीब 15000 की है। प्रशिक्षण केंद्रों की कमी इसकी बड़ी वजह है। अस्पताल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. सोमेश मित्तल ने कहा, इंस्टीट्यूट खुलने से चिकित्सकों को प्रशिक्षित करने में मदद मिलेगी। अनुसंधान पर विशेष जोर दिया जाएगा।
32 में से 25 शहर में
बेंगलूरु. जोड़ों के दर्द का इलाज करने वाले विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी के कारण मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा।
रुमेटोलॉजिस्टों की बेहद कम संख्या होने से गठिया व इसके विभिन्न प्रकार के मरीज चिकित्सकों तक पहुंचने के लिए कई सप्ताह का इंतजार करने पर मजबूर हो रहे हैं। गठिया की 80 फीसदी मरीज महिलाएं हैं। प्रदेश में सिर्फ 32 रुमेटोलॉजिस्ट हैं और इनमें से 25 बेंगलूरु में ही हैं। प्रदेश में बाल रुमेटोलॉजिस्ट केवल पांच हैं, जिनमें से तीन बेंगलूरु में हैं।
विक्रम अस्पताल में इंस्टीट्यूट ऑफ रुमेटोलॉजी व क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी विभाग शुरू होने के अवसर पर गुरुवार को रुमेटोलॉजिस्ट डॉ. बी.जी. धर्मानंद ने कहा, चिकित्सकों और जांच सुविधाओं की कमी का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। बीमारी की पहचान में देरी हो रही है। देश में 500 के रुमेटोलॉजिस्ट हैं। जबकि जरूरत करीब 15000 की है। प्रशिक्षण केंद्रों की कमी इसकी बड़ी वजह है। अस्पताल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. सोमेश मित्तल ने कहा, इंस्टीट्यूट खुलने से चिकित्सकों को प्रशिक्षित करने में मदद मिलेगी। अनुसंधान पर विशेष जोर दिया जाएगा।