गीता का स्वस्थ होना चिकित्सकों के लिए भी किसी चमत्कार से कम नहीं है। उपचार दल के प्रमुख डॉ. वेणुगोपाल ने बताया कि गीता 158 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रही। कोरोना वायरस अगर फेफड़ों को 80 फीसदी तक प्रभावित कर दे तो मरीज के बचने की संभावना बेहद कम रहती है। लेकिन, गीता ने इसे गलत साबित कर दिया।
डॉ. वेणुगोपाल ने बताया कि गीता को गंभीर अवस्था में तीन जुलाई को जिला अस्पताल में भर्ती किया गया था। कोविड के गंभीर से गंभीर मरीज भी एक सप्ताह से तीन माह तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद ठीक हो जाते हैं। लेकिन, गीता 104 दिनों तक वेंटिलेटर पर रही। प्रतिदिन उसे 10 लीटर ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती थी।
डॉ. वेणुगोपाल ने कहा कि अगर मरीज आशावादी हो और सभी स्थितियों में साहस दिखाता हो तो चिकित्सा उपचार अधिक प्रभावी होगा। अस्पताल में भर्ती होने के पांच महीने बाद भी गीता ने उम्मीद नहीं खोई और उसे एक नया जीवन मिला। अच्छी बात यह रही कि गीता को मधुमेह या कोई अन्य बीमारी नहीं थी।
गीता ने बताया कि गांव के एक मेले से लौटने के बाद वह बीमार पड़ गई थी। शुरुआती कुछ दिनों तक घर पर ही उसका उपचार चला। सांस लेने में दिक्कत सामने आने पर चिकित्सकों ने उसे अस्पताल में भर्ती किया।