scriptनया रेकॉर्ड : पिछले 60 दिनों से केआरएस में अधिकतम जलस्तर | after heavy rainfall , record water level in KRS | Patrika News

नया रेकॉर्ड : पिछले 60 दिनों से केआरएस में अधिकतम जलस्तर

locationबैंगलोरPublished: Oct 18, 2019 07:27:56 pm

Submitted by:

Nikhil Kumar

केआरएस का जलस्तर अपनी अधिकतम क्षमता को छू रहा है। वर्ष 2006 के बाद यह पहला मौका है जब केआरएस में निरंतर अधिकतम जलस्तर बरकरार है। 13 वर्ष पहले 2006 में लगातार 90 दिनों तक बांध लबालब रहा था।

मानसून मेहरबान, केआरएस लबालब

मानसून मेहरबान, केआरएस लबालब

मानसून मेहरबान, केआरएस लबालब

मंड्या. दक्षिण अंदरूनी कर्नाटक क्षेत्र पर मानसून (Monsoon) मेहरबान रहने के कारण इस वर्ष कृष्ण राज सागर बांध (केआरएस – Krishna Raja Sagara Dam) रेकॉर्ड समय तक लबालब भरा हुआ है। पिछले 60 दिनों से केआरएस (KRS) का जलस्तर अपनी अधिकतम क्षमता को छू रहा है। वर्ष 2006 के बाद यह पहला मौका है जब केआरएस में निरंतर अधिकतम जलस्तर (Water Level) बरकरार है। 13 वर्ष पहले 2006 में लगातार 90 दिनों तक बांध लबालब रहा था।

कावेरी नीरवारी निगम लिमिटेड (सीएनएनएल) के अनुसार पिछले तीन महीनों के दौरान कावेरी नदी (Cauvery River) और कावेरी की सहायक नदियों के जलअधिग्रहण क्षेत्रों में अच्छी बारिश हुई है। कुशालनगर, केआर नगर और हुंसूर क्षेत्रों में अगस्त, सितंबर और अक्टूबर के पहले पखवाड़े में औसत से ज्यादा बारिश हुई है, इससे बांध लबालब है। पिछले चौबीस घंटों के दौरान बांध में पानी का अंतर्वाह 8000 क्यूसेक से ज्यादा था।

निचले इलाकों में खतरा

बांध का जलस्तर सामान्य बनाए रखने के लिए बांध से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है। बांध के जलबहाव क्षेत्रों में कावेरी का जलस्तर तेज बना हुआ है। वहीं, पिछले कुछ दिनों के दौरान कोडुगू और तटीय कर्नाटक (Karnataka) में हुई तेज बारिश के कारण एक बार फिर कावेरी में जलप्रवाह बढऩे की संभावना है जिससे बांध में पानी का अंतर्वाह और ज्यादा बढ़ सकता है। अगर बांध से ज्यादा पानी छोड़ा गया तो आने वाले दिनों में निचले इलाकों में बाढ़ जैसी नौबत आ सकती है।

किसानों को राहत

केआरएस के लबालब रहने से कावेरी तटबंध के किसानों को राहत मिली है। इस वर्ष गन्ने और धान की फसलों को बारिश के साथ ही सिंचाई से भी पर्याप्त पानी मिलने की उम्मीद है। साथ ही आने वाली गर्मी में बेंगलूरु, मैसूरु, मंड्या आदि कावेरी पर निर्भर जिलों में जलापूर्ति का संकट भी नहीं होना चाहिए।

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