scriptपेट्रोल-डीजल के बाद गारमेंट छूएगा आसमान! | After petrol and diesel, the garment will touch the sky | Patrika News

पेट्रोल-डीजल के बाद गारमेंट छूएगा आसमान!

locationबैंगलोरPublished: Sep 24, 2021 07:38:08 am

Submitted by:

Yogesh Sharma

केन्द्र सरकार जीएसटी की दरें बढ़ाने की तैयारी मेंव्यापारी वर्ग ने जताया आक्रोश

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प्रतीकात्मक फाेटाे

बेंगलूरु. केन्द्र सरकार पेट्रोल-डीजल में आग लगाने के बाद गारमेंट पर जीएसटी ५ से बढ़ाकर १२ प्रतिशत तक बढ़ाने के प्रयास में हैं। एक ओर जहां व्यापारी वर्ग अभी कोरोनो से उबरा भी नहीं है कि सरकार ने आमजन के साथ व्यापार को प्रभावित करने का पूरा मन बना लिया है। जीएसटी परिषद की बैठक में गारमेंट पर जीएसटी बढ़ता है तो निश्चित रूप से इसका असर आमजन पर पड़ेगा। पहले ही महंगाई से जूझ रहे आमजन को कपड़ों पर बढऩे वाली जीएसटी की दरें बुरी तरह प्रभावित कर सकती हैं।
व्यापारियों की मानें तो जीएसटी परिषद की 45 वीं बैठक में कपड़ा उद्योग पर जीएसटी दर में बदलाव पर फिर से विचार करने का प्रस्ताव किया गया है। टैक्सटाइल और गारमेंट्स की दर को 12 फीसदी तक बढ़ाने के प्रस्ताव को लेकर व्यापारियों में भय, आक्रोश है, चाहे बिक्री मूल्य कुछ भी हो। इससे अनुचित कठिनाई होगी, क्योंकि उद्योग पिछले कुछ वर्षों में सबसे बुरी तरह प्रभावित क्षेत्र में से एक है।
कर्नाटक होजरी एंड गारमेंट एसोसिएशन (खागा) ने प्रधानमंत्री, केन्द्रीय वित्त मंत्री, केन्द्रीय कपड़ा मंत्री, मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में गारमेंट पर जीएसटी की दरें पूर्ववत रखने की मांग की है। खागा के अध्यक्ष डूंगरमल चोपड़ा ने बताया कि टेक्सटाइल और रेडीमेड गारमेंट के लिए जीएसटी दर वर्तमान में 5 और 12 प्रतिशत के 2 स्लैब के अंतर्गत हंै। यह करों में एक विसंगति की ओर जाता है और खुदरा विक्रताओं के हाथों में बहुत अधिक कर बहिर्वाह का कारण बनता है। इसलिए हम आपसे सभी टेक्सटाइल और रेडीमेड गारमेंट पर 5 प्रतिशत की एकल दर रखने का अनुरोध करते हैं, जिससे व्यापार के लिए व्यापार करने में आसानी होगी।
खागा के पूर्व अध्यक्ष सज्जनराज मेहता ने कहा कि जीएसटी परिषद में पेश किया जा रहा प्रस्ताव पूरी तरह से अव्यवहारिक है क्योंकि यह कपड़ा और रेडीमेड कपड़ों के तहत सभी वस्तुओं पर जीएसटी दर को बढ़ाकर 12 प्रतिशत करना चाहता है। जरूरी वस्तु रोटी, कपड़ा और मकान पर सरकार संयम बरतें। दर में यह वृद्धि न केवल ग्राहकों अर्थात हर तबके के नागरिक पर बोझ बढ़ाएगी बल्कि छोटे व्यवसायों के भविष्य को भी खतरे में डाल देगी जो पहले से ही उच्च किराये की लागत, कम और धीमी वसूली से जूझ रहे हैं। हम इस बात पर भी प्रकाश डालना चाहते हैं कि हमारा क्षेत्र विशेष रूप से महिलाओं के लिए अर्ध कुशल श्रमिकों के लिए सबसे अधिक रोजगार पैदा करता है, जिससे उनका सशक्तिकरण होता है और परिवार की कुल घरेलू आय में वृद्धि होती है। इसे ध्यान में रखते हुए, दर में वृद्धि से उद्योग को अपूरणीय क्षति और नौकरी के नुकसान की संभावना है। हम आपके ध्यान में लाना चाहेंगे कि इस क्षेत्र ने कोविड के दौरान पीपीई किट, मास्क और अन्य आवश्यक वस्तुओं के निर्माण और वितरण में बहुत योगदान दिया है। मेहता ने बताया कि जीएसटी दरें कम करने की मांग को लेकर ऑल इंडिया गारमेंट एसोसिएशन से निरंतर सम्पर्क में हैं।
खागा के मंत्री प्रकाश भोजानी ने कहा कि सरकार बड़े पैमाने पर मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा दे रही है और इसे कपड़ा क्षेत्र के समर्थन से कई गुना बढ़ाया जा सकता है। भारत में कपड़ा व्यापार को बढ़ावा देने के लिए ऐसे सभी सामानों पर दर को बिना किसी सीमा के 5प्रतिशत तक कम करने का एक बड़ा अवसर है, जो तभी संभव है जब सरकार कपड़ा क्षेत्र को पूरे दिल से समर्थन दे।
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